नई दिल्ली, 01 मई (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भविष्य में रोजगार तलाशने वालों के बजाय रोजगार पैदा करने वाले छात्र तैयार करने में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि डीयू को अगले 25 वर्षों में शोध के क्षेत्र में बहुत कुछ करना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि डीयू विश्व की शोध संस्था बनकर उभरेगा कोरोना काल में इसकी झलक देखने को मिली है।
रविवार को दिल्ली विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित करते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में डीयू अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तो डीयू अपनी स्थापना के 125 वर्ष मना रहा होगा। अगले 25 वर्षों में डीयू को वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक मॉडल के रूप में उभरने के लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा।
उन्होंने डीयू को पेपरलेस होने के लिए ‘संकल्पित होने के साथ ही अगले 100 दिनों में भारत की शीर्ष 100 समस्याओं के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों को कम करने के लिए व्यवहार्य समाधान प्रदान करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।
उन्होंने डीयू को जीवंत विश्वविद्यालय की संज्ञा देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं बल्कि इससे जुड़े लोगों के लिए एक भावना है। इसने ज्ञान को आगे बढ़ाया है और नालंदा और तक्षशिला की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाया है। प्रधान ने कहा कि डीयू देश की आजादी की लड़ाई का साझी रहा है। शहीद भगत ने एक रात इस संस्थान में गुजारी। महात्मा गांधी इसके सेंट स्टीफन कालेज में आये थे।
नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए डीयू की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को डीयू ने सबसे पहले अपनाया है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एकल प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) को लागू करने की भी पहल की है। उन्होने देश में नए पाठ्यक्रम के लिए भी डीयू से योगदान का आह्वान किया। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा को जड़ों से जोड़ेगी और वैश्विक स्तर पर शिक्षा का भारतीय मॉडल स्थापित करेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में डीयू के 100 वर्षों के स्वर्णिम इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया एक मई 1922 को 750 विद्यार्थियों व केवल तीन महाविद्यालयों के साथ शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय आज देश-दुनिया का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बन चुका है। आज डीयू में 6 लाख 6 हजार 228 विद्यार्थी, 90 कॉलेज, 16 फ़ैकल्टी और हजारों शिक्षक हैं। 40 हजार के बजट से शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय आज 838 करोड़ से अधिक के बजट पर पहुंच चुका है।
कुलपति ने डीयू की उपलब्धियां गिनवाते हुए बताया कि इन 100 वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय देश के हर घर और हर मन तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि अगले 25 वर्षों में डीयू को बहुत कुछ करना होगा।
डीयू के शताब्दी समारोह में ये हुई नई शुरुआत
शताब्दी समारोह के दौरान मुख्यातिथि एम. वेंकैया नायडू ने अपने हाथों से डीयू पर एक डाक टिकट भी जारी किया। इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय का शताब्दी स्मारक सिक्का भी जारी किया गया। चित्रों के माध्यम से डीयू के 100 वर्ष के इतिहास पर आधारित एक शताब्ती स्मारिका भी जारी की गई। डीयू की पूरी जानकारी से भरे ब्रोसर को जारी भी किया गया।
एनईपी 2020 पर आधारित कैरीकुलम फ्रेमवर्क को हिन्दी, संस्कृत एवं तेलुगू भाषा में मुख्यातिथि ने अपने हाथों से जारी किया। इसके साथ ही डीयू की शताब्दी वेबसाइट का शुभारंभ भी मुख्यातिथि ने अपने हाथों से रिमोट के द्वारा किया।
डीयू के इतिहास व उपलब्धियों को लेकर 100 वर्ष की यात्रा पर एक 100 सेकंड की डाक्यूमेंटरी फिल्म भी जारी की गई। इसके अलावा मुख्यातिथि ने डीयू शताब्दी लोगो को डिजाइन करने वाली गार्गी कालेज की विद्यार्थी कर्तिका खिंची को भी सम्मानित किया।