नई दिल्ली, 29 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने 62 वर्षीय एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद कमर को रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट ने मोहम्मद कमर को पांच हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। कमर 2015 से फॉरेनर्स डिटेंशन सेंटर से हिरासत में है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को मोहम्मद कमर को लंबी अवधि वाले वीजा देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार महीने के अंदर अपना फैसला कोर्ट को बताने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मोहम्मद कमर को मेरठ पुलिस के यहां हर महीने की सात तारीख को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। मोहम्मद कमर मेरठ में ही रहना चाहता है।
मोहम्मद कमर ने 2015 में फॉरेनर्स एक्ट के तहत तीन साल की सजा पूरी की थी। लेकिन पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उसे दिल्ली के डिटेंशन सेंटर पर रखा गया है। मोहम्मद कमर के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
मोहम्मद कमर ने भारतीय महिला से शादी की थी जिससे उसे पांच बच्चे हुए थे। कोर्ट ने पाया कि केंद्र सरकार ने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया कि जिससे साबित हो सके कि मोहम्मद कमर देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि 2019 में पाकिस्तान ने कमर को दो बार राजनयिक मदद की थी लेकिन पाकिस्तान सरकार उसे अपने नागरिक के रूप में पुष्टि नहीं कर रही थी। इसी वजह से उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कमर को लंबी अवधि के लिए वीजा जारी करने की अनुशंसा की थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि मेरठ के एसएसपी ने बताया था कि कमर को लंबी अवधि के वीजा देने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि कमर ने दस साल पहले अपनी पत्नी से तलाक ले लिया था। कोर्ट ने पाया कि ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला जिससे ये साबित हो कि कमर ने तलाक ले लिया है। उसके पांच बच्चे भारतीय नागरिक हैं वे यहीं रहते हैं। फॉरेनर्स एक्ट के तहत सजा के सात साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में किसी व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।