चंडीगढ़/नई दिल्ली, 29 अप्रैल ( हि.स.)। पटियाला में शुक्रवार को शिवसेना और खालिस्तान समर्थकों के बीच हुए तनाव से सूबे के लोग दहशत में हैं। अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। इस घटना के बाद से विरोधी दल लगातार प्रदेश सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। सरकार का दावा है कि तनाव दो समुदायों में नहीं, बल्कि दो सियासी दलों के बीच हुआ ।
अकाली दल का आरोप है कि सूबे में जबसे रिमोट कंट्रोल वाली सरकार आई है, तब से लगातार यहां की कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास किसी भी विवाद को अपने स्तर पर हल करने की कोई शक्ति नहीं है। साथ ही अकाली दल ने लोगों से शांति बनाए रखने की भी अपील की है।
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा का आरोप है कि प्रदेश में पूरी तरह से अराजकता फैल चुकी है। पटियाला से कांग्रेस सांसद परनीत कौर का कहना है कि वह शहर में पैदा हुए हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं।
पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कहना है कि कमजोर सरकार का फायदा उठाकर विदेश ताकतें सूबे को कमजोर करना चाहती हैं। साथ ही उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है।
विरोधी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा का कहना है कि विवाद दो समुदायों के बीच नहीं, बल्कि दो सियासी दलों के बीच हुआ है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है
उल्लेखनीय है कि शिवसेना ने पटियाला में खालिस्तान विरोधी मार्च निकालने पर विरोध किया। इसके बाद दोनों गुट आमने-सामने आ गए। दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई। हंगामा बढ़ने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की लेकिन मामला हाथ से निकलता चला गया। दोनों ओर से जमकर पत्थरबाजी तेज हो गई। हंगामा करने वालों ने पुलिस पर भी पथराव कर दिया तो पुलिस को भीड़ तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी।