नई दिल्ली, 27 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को जमानत दे दी है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने सज्जन कुमार को जमानत देने का आदेश दिया। इस मामले में जमानत मिलने के बावजूद सज्जन कुमार जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे क्योंकि वे एक दूसरे मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
कोर्ट ने सज्जन कुमार को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने सज्जन कुमार को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सज्जन कुमार को बिना कोर्ट की अनुमति के देश छोड़ने पर रोक लगाई है। इसके अलावा कोर्ट ने सज्जन कुमार को साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को किसी भी रूप में प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया है।
19 अप्रैल को इस मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों सरबजीत सिंह बेदी और दिलीप कुमार ओहरी ने अपने बयान दर्ज कराए थे। कोर्ट में 93 वर्षीय गवाह डीके अग्रवाल के बयान की सीलबंद प्रति कोर्ट में पेश की गई थी। अग्रवाल का बयान कड़कड़डूमा कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया था। 29 मार्च को कोर्ट ने डीके अग्रवाल की बीमारी और उनकी ज्यादा उम्र को देखते हुए उनके बयान उनके घर पर ही दर्ज कराने का आदेश दिया था।
29 मार्च कोर्ट में दो गवाहों डॉ. पुनीत जैन और मनोज सिंह नेगी के बयान दर्ज किए गए। 23 दिसंबर, 2021 को कोर्ट में दस्तावेजों का परीक्षण किया गया था। 16 दिसंबर, 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। पिछली 4 दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
मामला 01 नवंबर, 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राजनगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राजनगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे।
शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया। भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए। शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की, जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी। इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया।