स्वतन्त्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था
– केदारनाथ त्रासदी के समय शिवगिरी मठ से आया फोन दिल छू लेने वाला था
– प्रधानमंत्री ने शिवगिरि तीर्थ यात्रा और ब्रह्म विद्यालय के संयुक्त समारोहों का लोगो किया लॉन्च
नई दिल्ली, 26 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि श्री नारायण गुरु ने भारत को उसके यथार्थ से परिचित कराया। उनका ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ का आह्वान हमारी राष्ट्रभक्ति की भावना को आध्यात्मिक ऊंचाई देता है।
प्रधानमंत्री मोदी 7 लोक कल्याण मार्ग से शिवगिरि तीर्थ यात्रा की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के वर्ष भर चलने वाले संयुक्त समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने शिवगिरि तीर्थ यात्रा और ब्रह्म विद्यालय के साल भर चलने वाले संयुक्त समारोहों का लोगो भी लॉन्च किया। शिवगिरि तीर्थयात्रा और ब्रह्म विद्यालय दोनों महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु के संरक्षण और मार्ग-दर्शन के साथ शुरू हुआ था।
16 जून 2013 को उत्तराखंड में आई त्रासदी के दौरान संतों को बचाने के लिए शिवगिरी मठ से आये फोन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह फोन कॉल दिल को छू लेने वाला था। उत्तराखंड और केंद्र दोनों में कांग्रेस का शासन था और एके एंटनी मंत्री थे, लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे कुछ फंसे संतों को बचाने के लिए शिवगिरी मठ से फोन आया।
उन्होंने कहा, “जब केदारनाथ जी में बहुत बड़ा हादसा हुआ। यात्री जीवन व मृत्यु के बीच जूझ रहे थे। उत्तराखंड में और केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार। तब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। शिवगिरी मठ से मुझे फोन कॉल आया कि हमारे संत वहां फंस गए हैं, उनका पता नहीं लग रहा है और ये काम आपको करना है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश भी इस समय अपनी आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे समय में हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारा स्वतन्त्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने कहा कि ये गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथ ही एक आजाद देश के रूप में हम होंगे, कैसे होंगे, इसका विचार भी था। क्योंकि, हम किस चीज के खिलाफ हैं, केवल यही महत्वपूर्ण नहीं होता। हम किस सोच के, किस विचार के लिए एक साथ हैं, यह भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
उन्होंने कहा कि आज से 25 साल बाद देश अपनी आजादी के 100 साल मनाएगा, और दस साल बाद हम तीर्थदानम् के 100 सालों की यात्रा उत्सव भी मनाएंगे। इन सौ सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिए और इसके लिए हमारा विजन भी वैश्विक होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए तीर्थदानम् की 90 सालों की यात्रा और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारत के उस विचार की भी अमर यात्रा है, जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिए आगे बढ़ता रहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरी, भारत की ऊर्जा का हर केंद्र, हम सभी भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है। ये स्थान केवल तीर्थ भर नहीं हैं, ये आस्था के केंद्र भर नहीं हैं, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां आध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली। लेकिन, भारत के ऋषियों, संतों, गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन और संवर्धन किया।
उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु ने आधुनिकता की बात की, लेकिन साथ ही उन्होंने भारतीय संस्कृति और मूल्यों को समृद्ध भी किया। उन्होंने शिक्षा और विज्ञान की बात की! लेकिन साथ ही धर्म और आस्था की हमारी हजारों साल पुरानी परंपरा का गौरव बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहे।
उल्लेखनीय है कि शिवगिरी तीर्थ यात्रा हर साल तीन दिनों के लिए 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक तिरुवनंतपुरम के शिवगिरी में आयोजित की जाती है। श्री नारायण गुरु के अनुसार, तीर्थयात्रा का उद्देश्य लोगों के बीच व्यापक ज्ञान का प्रसार और उनके समग्र विकास और समृद्धि में मदद करना था। इसलिए यह तीर्थयात्रा शिक्षा, स्वच्छता, धर्मपरायणता, हस्तशिल्प, व्यापार और वाणिज्य, कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संगठित प्रयास जैसे आठ विषयों पर केंद्रित है।
1933 में कुछ भक्तों द्वारा यह तीर्थयात्रा शुरू की गई थी, लेकिन दक्षिण भारत में अब यह प्रमुख आयोजनों में से एक बन गई है। हर साल दुनिया भर से लाखों भक्त जाति, पंथ, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर तीर्थयात्रा में भाग लेने के लिए शिवगिरी आते हैं।
श्री नारायण गुरु ने सभी धर्मों के सिद्धांतों को समान रूप से सिखाने की कल्पना की थी। इस दृष्टि को साकार करने के लिए शिवगिरी के ब्रह्म विद्यालय की स्थापना की गई थी। ब्रह्म विद्यालय श्री नारायण गुरु के कार्यों और दुनिया के सभी महत्वपूर्ण धर्मों के ग्रंथों सहित भारतीय दर्शन पर 7 साल का पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है।