High Court : पीएम केयर्स फंड को सरकारी घोषित करने की मांग पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

याचिकाकर्ता ने कहा- प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों को इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (हि.स.)। पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने ये बातें कही।

श्याम दीवान ने कहा कि सवाल ये है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर एक समूह का निर्माण कर कार्य कर सकते हैं। ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है। इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है, इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा वो बोर्ड में शामिल होगा। तब कोर्ट ने दीवान से पूछा कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है। इस पर दीवान ने कहा कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है लेकिन ये सरकार का है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे। आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं।

11 अक्टूबर, 2021 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड में आने वाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता। इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है। श्याम दीवान ने कहा था कि कई केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि देश के उपराष्ट्रपति तक ने कहा कि ये भारत सरकार के प्रयासों का नतीजा है। दीवान ने उप राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री समेत केंद्र के मंत्रियों और सरकार के उच्च अधिकारियों के सार्वजनिक अपीलों का उदाहरण दिया, जिसमें आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों से कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड में दान करें। इन अपीलों से साफ है कि पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय फंड है, जो भारत सरकार की ओर से गठित किया गया है। दीवान ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि पीएम केयर्स फंड बुरा है लेकिन इसे संविधान की परिधि में आना चाहिए।

23 सितंबर, 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं। श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है। हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है। पीएम केयर्स फंड का आडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है।

17 अगस्त, 2021 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है। दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है, जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *