कोलंबो, 25 अप्रैल (हि.स.)। श्रीलंका में भीषण आर्थिक संकट व राजनीतिक उथल पुथल के बीच देश के धार्मिक नेतृत्व की पहल भी सामने आई है। एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु ने आर्थिक व राजनीतिक संकट के समाधान की दिशा में प्रयास शुरू किये हैं, जो अब रंग लाने लगे हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश में अंतरिम सरकार के गठन के लिए राजी हो गए हैं।
श्रीलंका में लगातार जारी भीषण आर्थिक संकट ने राजनीतिक अस्थिरता को भी जन्म दिया है। इस पर देश के एक प्रमुख व प्रभावी बौद्ध भिक्षु ने स्थितियों में सुधार के लिए प्रयास शुरू किए हैं। बीती चार अप्रैल का मेडागोडा धम्मानंद पीठ की पहल पर चार बौद्ध पीठों के मुख्य भिक्षुओं ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पत्र लिखकर कैबिनेट भंग कर अंतरिम सरकार बनाने के लिए कहा था। इस पत्र के बाद गोटबाया ने कैबिनेट भंग कर नया मंत्रिमंडल तो बना लिया, किन्तु आंदोलनकारी व विपक्ष उनके व उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे पर अड़े हैं। अब गोटबाया ने बौद्ध भिक्षुओं के पत्र के दूसरे हिस्से पर अमल की बात भी कही है।
बौद्ध भिक्षुओं के पत्र का जवाब देते हुए गोटबाया ने कहा है कि वे अंतरिम सरकार के गठन के लिए राजी हैं। हालांकि गोटबाया सरकार से बाहर किए गए सांसद उदय गमपिला ने दावा किया कि विपक्ष के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी 113 सांसद हैं। अब तो 225 सदस्यीय संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि गोटबाया पहले ही 113 सीटों वाले किसी भी समूह को देश की सत्ता सौंपने की बात कर चुके हैं।