मुंबई, 24 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान के लिए रविवार को यहां प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने यह पुरस्कार सभी भारतीयों को समर्पित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार लोगों का है।
प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि तमाम व्यस्ताओं के बाबजूद कार्यक्रम में शामिल होना उनका दायित्व था। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह जम्मू-कश्मीर में थे। वहां से वह मुंबई के लिए रवाना हुए और शाम करीब 4.45 बजे महाराष्ट्र की राजधानी पहुंचे।
उन्होंने कहा कि मैं आमतौर पर कोई पुरस्कार स्वीकार नहीं करता लेकिन पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो, तो मेरे लिए उनके अपनत्व और प्यार का ही एक प्रतीक है। इसलिए, मन करना मेरे लिए मुमकिन ही नहीं है। मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित करता हूं।
उन्होंने कहा कि लता दीदी मेरे लिए बड़ी बहन जैसी थीं। कई दशकों के बाद इस साल का राखी का त्योहार उनके बिना पहला होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें संगीत जैसे विषय का ज्ञान नहीं है। लेकिन सांस्कृतिक समझ से, मुझे लगता है कि संगीत भी एक साधना और एक भावना है। उन्होंने कहा कि संगीत से आपमें वीररस भरता है। संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है। संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य को, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात् देखा है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संगीत की साम्राज्ञी होने के साथ-साथ लता मंगेशकर उनकी बड़ी बहन भी थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी से अपनी बहन जैसा प्रेम मिला हो, इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगीत के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति की जो चेतना लता दीदी के भीतर थी, उसका स्रोत उनके पिताजी ही थे। आज़ादी की लड़ाई के दौरान शिमला में ब्रिटिश वायसराय के कार्यक्रम में दीनानाथ ने वीर सावरकर का लिखा गीत गाया था। उसकी थीम पर प्रदर्शन किया था। वीर सावरकर ने ये गीत अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुये लिखा था। ये साह, ये देशभक्ति, दीनानाथ जी ने अपने परिवार को विरासत में दी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लता जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। आप देखिए, उन्होंने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाये। हिन्दी हो मराठी, संस्कृत हो या दूसरी भारतीय भाषाएं, लताजी का स्वर वैसा ही हर भाषा में घुला हुआ है। उन्होंने कहा कि संस्कृति से लेकर आस्था तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लता जी के सुरों के पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। दुनिया में भी, वो हमारे भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं।
उल्लेखनीय है कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 वर्ष की आयु में 6 फरवरी 2022 को निधन हो गया। उनकी स्मृति और सम्मान में लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार स्थापित किया गया है। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सिर्फ एक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान के लिए दिया जाएगा। यह पुरस्कार उस व्यक्ति के लिए भी स्थापित किया गया है जिसने हमारे देश, उसके लोगों और हमारे समाज के लिए पथप्रदर्शक, शानदार और अनुकरणीय योगदान दिया है।