नई दिल्ली, 21 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की याचिका पर केंद्र सरकार के जवाब पर असंतोष जताया है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
गुरुवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच में अबू सलेम की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गृह सचिव के हलफनामे की सराहना नहीं की जा सकती है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामा में कहा है कि पुर्तगाल सरकार से वादा किया गया है कि सलेम को 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी। यह दो देशों के बीच का मामला है, कोर्ट कानून के मुताबिक फैसला करे। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को जो फैसला करना है वो तो कोर्ट करेगी ही। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कहना सही नहीं है कि सलेम की याचिका प्री-मैच्योर है।
दरअसल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि सलेम का प्रत्यर्पण 2005 में हुआ था। उसकी रिहाई पर विचार करने का समय 2030 में आएगा, तब सरकार तय करेगी कि क्या करना है। भल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अबू सलेम की याचिका पर विचार नहीं करना चाहिए।
इससे पहले 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की याचिका पर केंद्रीय गृह सचिव की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर एतराज जताया था। कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए 18 अप्रैल तक केन्द्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
सीबीआई ने कहा था कि सलेम को 25 साल से अधिक सज़ा न होने का भरोसा भारत सरकार ने पुर्तगाल को दिया था। यह किसी कोर्ट पर लागू नहीं होता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा रवैया दूसरों के प्रत्यर्पण में समस्या बनेगा। गैंगस्टर अबु सलेम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत ने वहां की सरकार को आश्वासन दिया था कि किसी मामले में 25 साल से अधिक सज़ा नहीं दी जाएगी लेकिन मुंबई की टाडा कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा दी है।