-जिलेवार पुस्तकों के प्रकाशन की उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की महत्वपूर्ण योजना
लखनऊ, 19 अप्रैल (हि.स.)। आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत संस्कृति विभाग ने 75 वर्ष, 75 जिले, 75 पुस्तक की एक महत्वपूर्ण योजना बनाई है। विभाग की इस महत्वाकांक्षी योजना की जिम्मेदारी अयोध्या शोध संस्थान को सौंपी गई है। संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने इस परियोजना पर कार्य भी आरम्भ करा दिया है।
उन्होंने बताया कि इन पुस्तकों के प्रकाशन का उद्देश्य स्वतंत्रता संघर्ष की अब तक ज्ञात जानकारी के साथ ही प्रदेश की स्वतंत्रता की उन गाथाओं, नायकों को भी सामने लाना है, जो किन्हीं कारणों से लिपिबद्ध नहीं किए जा सके। पुस्तक के माध्यम से आजादी के अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास को नई पीढ़ी के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
संस्थान के अध्यक्ष तथा संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने मंगलवार को बताया कि उत्तर प्रदेश के जिलों का आजादी में योगदान से सम्बन्धित पुस्तकों के प्रकाशन योजना के अन्तर्गत प्रदेश के प्रत्येक जनपद के आजादी के इतिहास का संकलन किया जा रहा है। अब तक ज्ञात जानकारी के अलावा भी आजादी के नायक, स्वतंत्रता सेनानी, बलिदानी, क्रांतिकारी के परिजन या वंशज हैं, उनसे बातचीत कर नायकों के संस्मरणों का संकलन किया जाएगा, जिससे कई नई जानकारी सामने आ सके।
प्रमुख सचिव ने बताया कि आजादी के बहुत सारे संघर्षों, नायकों को अब तक लिपिबद्ध नहीं किया गया है। इस योजना का उद्देश्य ज्ञात जानकारी के साथ अनाम गाथाओं, संघर्षों, नायकों को भी सामने लाना है। पुस्तक में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों की गाथाएं दर्ज करने के साथ ही आजादी के बाद स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले नायकों की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। विभिन्न युद्धों में शहीद जैसे कारगिल के शहीद और 75 वर्ष के अन्य नायकों के बारे में भी पुस्तक में जानकारी दी जाएगी। पुस्तक का प्रकाशन करने के साथ ही इसका डिजिटाइजेशन भी किया जाएगा।
इससे पहले संस्थान के अध्यक्ष और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम की अध्यक्षता में सोमवार को पर्यटन भवन में आयोजित राज्यस्तरीय समिति की बैठक में इस योजना पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ। बैठक में विशेष सचिव-संस्कृति एवं निदेशक-संस्कृति निदेशालय आनंद कुमार, निदेशक संग्रहालय निदेशालय डॉ ए.के. सिंह, सहायक निदेशक-संस्कृति निदेशालय अमित अग्निहोत्री, निदेशक, अयोध्या शोध संस्थान डॉ.लवकुश द्विवेदी, डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के.पी. सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रदेश की वरिष्ठ लोक साहित्यकार डॉ. विद्याबिन्दु सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी.पी. तिवारी, लखनऊ विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास के डॉ. एस.ए. रिजवी, इतिहासवेत्ता-लखनऊविद् रवि भट्ट एवं समन्वयक आलोक पराड़कर ने भी भाग लिया।