– चार दिवसीय सम्मेलन 18 से 22 अप्रैल तक नई दिल्ली में होगा
– कमांडरों से बातचीत करके नई रणनीति तय करेंगे सेना प्रमुख
नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स.)। रूस और यूक्रेन के बीच 52 दिनों से चल रहे युद्ध का भारत पर किसी भी तरह के पड़ने वाले संभावित प्रभावों और मूल्यांकन से संबंधित पहलुओं पर भारतीय सेना के कमांडर चार दिन नई दिल्ली में मंथन करेंगे। सेना के कमांडरों का सम्मेलन 18-22 अप्रैल तक नई दिल्ली में होना है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे इस सम्मेलन में सैन्य कमांडरों से बातचीत करके सेना के लिए नई रणनीति तय करेंगे।
सेना के कमांडरों का सम्मेलन प्रत्येक वर्ष अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। सम्मेलन में शीर्ष सैन्य अधिकारियों और कमांडरों के साथ वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श करने के बाद भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। इस बार सैन्य कमांडरों के सम्मेलन के मुख्य एजेंडा में रूस और यूक्रेन के बीच 52 दिनों से चल रहे युद्ध को भी रखा गया है। सम्मेलन के दौरान भारतीय सैन्य कमांडर दोनों देशों के बीच युद्ध का भारत पर किसी भी तरह के पड़ने वाले संभावित प्रभावों और मूल्यांकन से संबंधित पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व सक्रिय सीमाओं के साथ परिचालन स्थिति की समीक्षा करेगा। सम्मेलन में चीन-पाकिस्तान के साथ संघर्ष वाले पूरे क्षेत्र में खतरों का आकलन करने के साथ ही परिचालन तैयारी की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना है। इसके साथ ही कमांडरों के साथ सैन्य क्षमता विकास और कमी का विश्लेषण करना भी मुख्य मुद्दों में शामिल है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचों के विकास, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, उत्कृष्ट तकनीक को शामिल करने पर भारतीय सेना जोर दे रही है जिससे संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा निर्धारित है।
भारतीय सेना में कार्यों में सुधार, वित्तीय प्रबंधन, ई-वाहनों को शुरू करने और डिजिटलीकरण से संबंधित प्रस्तावों के अतिरिक्त क्षेत्रीय कमांड्स की ओर से प्रायोजित विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर वरिष्ठ कमांडर विचार-विमर्श करेंगे। सम्मेलन के हिस्से के रूप में आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (एडब्ल्यूईएस) और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (एजीआईएफ) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें आयोजित की जाएंगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 अप्रैल को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ बातचीत करने और सम्मेलन को संबोधित करने की उम्मीद है। यह सम्मेलन भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए रक्षा मंत्रालय के संवाद सत्र के दौरान और रक्षा विभाग सैन्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परस्पर बातचीत करने का एक औपचारिक मंच भी है।