यूक्रेनी सेना ने खतरनाक जैवलिन मिसाइलों से सैकड़ों रूसी टैंक को किया तबाह

युद्ध की शुरूआत में अमेरिका ने यूक्रेन को दी थीं दो हजार एंटी टैंक मिसाइलें

कीव, 13 अप्रैल (हि.स.)। यूक्रेन पर डेढ़ महीने से जारी हमलों में रूसी सेना ने यूक्रेन के कई शहरों को तबाह कर दिया है। यूक्रेनी सेना की खतरनाक मिसाइल ने रूसी सैनिकों के टैंकरों पर जमकर कहर बरपाया है। हमले से कई शहरों में जरूरत की वस्तुओं की कमी हो गई है। इन शहरों के सैकड़ों नागरिकों ने पश्चिमी देशों में शरण ले रखी है।

यूक्रेन सेना की जैवलिन मिसाइल ने सैकड़ों रूसी टैंकों को तबाह किया है। यूक्रेन की सेना का दावा है कि इस जंग में रूस ने 680 से अधिक टैंक गंवा दिए हैं। रूसी टैंकों की यह क्षति एंटी टैंक हथियारों के कारण हुई है। पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को एंटी टैंक मिसाइल की आपूर्ति की है। इस युद्ध में सैन्य व इंटेलिजेंस ब्लॉग ओरिक्स का कहना है कि इसमें रूस ने 460 से ज्यादा टैंक और दो हजार से अधिक बख्तरबंद गाड़ियों को गंवाया है।

इस खतरनाक जैवलिन एंटी टैंक मिसाइल को अमेरिकी हथियार कंपनी लाकहीन मार्टिन ने बनाया है। इसकी खास बात यह है कि यह मिसाइल जब छोड़ी जाती है तब वह टैंक के ऊपर उस स्थान पर जाकर विस्फोट करती है, जहां टैंक का रक्षा कवच बेहद कमजोर होता है। जैवलिन मिसाइल दो वारहेड से लैस है। इसका पहला वारहेड टैंक के रक्षा कवच को नष्ट कर देता है, जबकि दूसरा वारहेड टैंक को भीतर जाकर नुकसान करता है। रूस यूक्रेन जंग के प्रारंभ में अमेरिका ने यूक्रेन को दो हजार जैवलिन एंटी टैंक मिसाइल दी थीं। युद्ध के दौरान अमेरिका ने फिर इन मिसाइलों की आपूर्ति की है।

रूसी टैंकों से निपटने के लिए ब्रिटेन ने भी यूक्रेन की मदद के लिए कम से कम 3,600 लाइट एंटी-टैंक मिसाइल भेजी हैं। इस जंग में जैवलिन और ब्रिटेन की एंटी टैंक मिसाइल काफी असरदार साबित हुई हैं। ऐसा माना जाता है कि इन मिसाइलों के चलते ही यूक्रेन अब तक जंग में टिका है। इससे युद्ध के हालात एकदम अलग हो गए।

यूक्रेन जंग में रूस को अब तक जीत नहीं मिल सकी है। इसके पीछे एक अन्य कारण भी है। रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि रूस के पास तुलनात्मक दृष्टि से कम सैनिक हैं। यही वजह है कि रूसी सेना बटालियन टैक्टिकल समूह के जरिए हमला कर रही है। यह एक काम्बैट यूनिट है। इसमें टैंक पैदल सेना और तोपखाना शामिल होता है। इस यूनिट में आमतौर पर बड़ी संख्या में बख्तरबंद गाड़ियां होती हैं। इसमें पैदल सैनिकों की संख्या कम होती है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बख्तरबंद सेना पर हमला होता है तो पैदल सेना की कमी की वजह से इनका डिफेंस सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसका प्रहार तो तगड़ा होता है, लेकिन प्रहार से बचने की क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा जब रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ तो रूस हवाई हमलों में अपना वर्चस्व नहीं बना सका। रूसी सेना आसमान में पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही थी, इस वजह से वो यूक्रेन की सेना की गतिविधि को भी नहीं समझ पा रही थी। ऐसे में यूक्रेनी सेना घात लगाकर हमले करने के लिए बेहतर पोजिशन में थी। वह रूसी सेना को काफी नुकसान पहुंचा सकती थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *