नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली सरकार के 1027 स्कूलों में से महज 203 में ही प्रधानाचार्य हैं। बाकी स्कूलों में यह पद लंबे समय से रिक्त हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बुधवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सरकार से जवाब मांगा है।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि आयोग की टीम ने दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान आधारभूत अवसंरचना और अन्य पहलुओं में खामियां मिलीं। दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के 1,027 स्कूलों से सिर्फ 203 में ही प्रधानाचार्य या कार्यवाहक प्रधानाचार्य हैं।
प्रियंक कानूनगो का कहना है कि प्रधानाचार्य का पद महत्वपूर्ण पद होता है। प्रधानाचार्य नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा पर विपरीत असर होता है। उधर, इस पत्र पर दिल्ली सरकार ने आयोग से कहा कि वह प्राचार्यों की नियुक्ति के बारे में केंद्र से जानकारी मांगे।
दिल्ली सरकार ने जवाब दिया है कि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उप राज्यपाल के अधीन है।