नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में आधुनिक कृषि शिक्षा किसान बनाने वाली होना चाहिए, जिसका सिलेबस वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। कृषि शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित होनी चाहिए।
तोमर ने बुधवार को दिल्ली में देशभर के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा कृषि क्षेत्र व्यापक व बहुआयामी है। कल्पना की जा सकती है कि इतने विशाल कृषि क्षेत्र को सरकार की सहायता नहीं होती तो स्थिति क्या होती।
तोमर ने कहा कि आज अधिकांश खाद्यान्न उपज में हमारा देश दुनिया में नंबर एक या दो पर होने के बावजूद कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव, अर्थात समग्र क्रांति की जरूरत है। कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन पर पहले अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया, जबकि इन्हीं का देश की जीडीपी में अधिक योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों से कृषि क्षेत्र में हमारी प्रतिस्पर्धा में हम लगभग बराबर या अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन अब हमें कृषि क्षेत्र व इसके साथ-साथ देश को आत्मनिर्भर बनाना है और श्रेष्ठ रूप में स्थापित करने के लिए विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा में खरा उतरना होगा।
तोमर ने कहा कि अब भारत उस स्थिति में नहीं है कि किसी की दया का पात्र हो, बल्कि अब हम विकसित से विकसित देशों से मजबूती से मुकाबला करने की सक्षम स्थिति में खड़े हैं। उन्होंने ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का कृषि भूमि के साथ ही मानव शरीर पर दुष्प्रभाव होता है। अब आर्गेनिक के साथ ही प्राकृतिक खेती की बात जोर-शोर से चल रही है।
सम्मेलन में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व शोभा करंदलाजे और आईसीएआर के महानिदेशक व डेयर के सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्र विशेष रूप से उपस्थित रहे।