– पहाड़ी इलाकों की तेज हवाओं में हेलीकॉप्टर चालक दल को चुनौतियों का सामना करना पड़ा
– लोगों को सुरक्षित निकालने के अभियान में वायुसेना के 5 गरुड़ कमांडो ने भी संभाला मोर्चा
नई दिल्ली, 12 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय वायुसेना ने झारखंड के देवघर जिले के त्रिकूट हिल्स रोप-वे सर्विस में फंसे 35 लोगों को सुरक्षित निकालने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म कर दिया। इस ऑपरेशन को पूरा करने में पांच हेलीकॉप्टरों को 26 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरनी पड़ी। इस दौरान पहाड़ी इलाकों में तेज हवाओं की स्थिति में हेलीकॉप्टर चालक दल को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। दुर्घटना में जीवित बचे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए वायुसेना के पांच गरुड़ कमांडो को भी शामिल किया गया।
देवघर जिले के त्रिकूट पहाड़ की चोटी पर स्थित रोप-वे के यूटीपी स्टेशन का रोलर 10 अप्रैल की शाम अचानक टूट गया। इसके बाद रोप-वे की 23 ट्रॉलियां एक झटके में सात फीट नीचे लटक गईं। सबसे पहले ऊपर की एक ट्रॉली 40 फीट नीचे खाई में गिरी। इसमें पांच लोग थे। हादसे के दौरान ट्रॉलियों में 48 लोग फंसे थे। एनडीआरएफ ने स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव कार्य शुरू किया मगर रात होने के कारण ज्यादा सफलता नहीं मिली। ट्रॉलियों में फंसे लोग रातभर हवा में लटके रहे। स्थिति गंभीर देख जिला प्रशासन ने वायुसेना की मदद मांगी।
वायुसेना ने दूसरे दिन तड़के एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और सेना के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के लिए प्रारंभिक रेकी की। इसके बाद वायुसेना ने बचाव कार्य शुरू करने के लिए पांच हेलीकॉप्टर तैनात किए। इनमें दो एमआई-17 वी5, एक एमआई-17, एक उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और एक चीता शामिल है। ऑपरेशन की तैयारी के दौरान वायुसेना के सामने कई तरह की अनूठी चुनौतियां सामने आईं। बचाव टीम में वायुसेना के पांच गरुड़ कमांडो को भी शामिल किया गया। इनको केबल कार्ट की फंसी हुई ट्रॉलियों पर चढ़ने का चुनौतीपूर्ण काम सौंपा गया।
वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टरों ने दो दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 26 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरी। पहाड़ी इलाकों में तेज हवाओं की स्थिति में हेलीकॉप्टर चालक दल को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। विपरीत मौसम के बावजूद हेलीकॉप्टर की चरखी केबल से रोप-वे की ट्रॉलियों में फंसे लोगों को अलग-अलग बांधकर ऊपर उठाने का चुनौतीपूर्ण कार्य चालक दल ने करके दिखाया। हवा में लटके लोगों को मंडराते हुए हेलीकॉप्टर की रस्सी से बांधकर ऊपर की ओर ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। ट्रॉलियों में फंसे छोटे बच्चों को गरुड़ कमांडो स्वयं हेलीकॉप्टर तक ले गए, क्योंकि उन्हें तेज हवा के बीच स्थिर बनाए रखना जरूरी था।
हेलीकॉप्टर के चालक दल को अपना कार्य करने के लिए एक ट्रॉली से दूसरी ट्रॉली में जाना पड़ा, जो चालक दल के लिए उतना ही जोखिम भरा था जितना कि दुर्घटना में जीवित बचे लोगों के लिए। दो दिन तक चले इस ऑपरेशन के दौरान दो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी हुईं, जिनमें दो लोगों को सुरक्षित रूप से नहीं बचाया जा सका। सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद दो व्यक्तियों के जीवन के नुकसान पर वायुसेना ने गहरा खेद जताते हुए उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।