New Flight : डिब्रूगढ़ से पासीघाट के लिए नई उड़ान की होगी शुरूआत

नई दिल्ली, 11 अप्रैल (हि.स.)। केंद्र सरकार देश के बाकी हिस्सों के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र को हवाई संपर्क से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कड़ी में 12 अप्रैल, मंगलवार को डिब्रूगढ़ से पासीघाट के लिए एक नई उड़ान की शुरूआत होने जा रही है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, “उड़े पूर्वोत्तर का आम नागरिक! कल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की उपस्थित में डिब्रूगढ़ से पासीघाट के लिए एक नई फ्लाइट का उद्घाटन किया जाएगा। उत्तर-पूर्व को भारत के विकास का इंजन बनाने में ये एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा ।”

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस बारे में एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के हवाई संपर्क को अधिक बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने ‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र (एनईआर) में हवाई संपर्क और विमानन बुनियादी ढांचा प्रदान करना’ नामक योजना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य उत्तर-पूर्व क्षेत्र के राज्यों में हवाई संपर्क को बढ़ावा देना तथा आवश्यक होने पर बुनियादी ढांचा विकसित करना है। इस योजना के एक हिस्से के रूप में, 12 अप्रैल से दो महत्वपूर्ण विकास शुरू होंगे, भारत में निर्मित एचएएल डोर्नियर डीओ-228 विमान की असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट तक पहली उड़ान का आयोजन होगा और अलायंस एयर, नागरिक संचालन के लिए भारत में निर्मित विमान का उड़ान करने वाली भारत की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन होगी। इसके अलावा असम के लीलाबारी में उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए पहले एफटीओ (उड़ान प्रशिक्षण संगठन) का भी उद्घाटन होगा।

दोनों कार्यक्रमों में नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के साथ असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों क्रमश: हिमंत बिस्वा सरमा और पेमा खांडू की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

मंत्रालय ने आगे कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) का विकास न केवल सामरिक महत्व का है, बल्कि भारत की विकास गाथा का भी हिस्सा है। एनईआर में कनेक्टिविटी बहुत आवश्यक है और “उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान)” के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस), नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) ने एनईआर की प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचान की है। इससे उत्तर-पूर्व और इससे बाहर कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस संबंध में नए हवाई अड्डों का विकास हो रहा है और पुराने हवाई अड्डों का उन्नयन किया जा रहा है। पहाड़ी इलाकों को ध्यान में रखते हुए कनेक्टिविटी के लिए उड़ान योजना के तहत हेलीकॉप्टर संचालन पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।

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