गुवाहाटी/नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा की भारत का अटल विश्वास है कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का समाधान आपसी बातचीत और राजनयिक चर्चा संवाद से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रबल समर्थक है और भारतीय लोकतंत्र प्राचीन और जीवंत हैं।
बिरला ने यहां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की कार्यकारी समिति की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता वैश्विक समृद्धि के लिए अनिवार्य है। जलवायु परिवर्तन के विषय में बिरला ने सीओपी 26 के अंतर्गत अनुमोदित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। उन्होंने इसके लिए इंटरनेशनल सोलर एलायंस जैसी पहल का उल्लेख करते हुए वर्ष 2030 तक एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने का विश्वास व्यक्त किया।
बिरला ने कहा कि लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यों में है और जीवन का एक तरीका बन गया है। आजादी का अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के इन 75 सालों में हमारा लोकतंत्र लगातार मजबूत हुआ है और समय के साथ लोकतंत्र पर हमारे लोगों का विश्वास बढ़ा है।
पंचायत से संसद तक चुनाव कराने में भारत की सफलता पर प्रकाश डालते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि 800 संसदीय सीटों, लगभग 4500 विधानसभा सीटों और 2.75 लाख पंचायतों के चुनाव कराने में हमारी दृढ़ता और सफलता बताती है कि भारतीय लोकतंत्र कार्यात्मक, प्रगतिशील और सफल लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक समृद्ध और विकसित देश के रूप में उभरा है।
लोकसभा अध्यक्ष ने विविधता में एकता को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक और धार्मिक विविधताओं के बावजूद हम सभी एकजुट हैं।
उन्होंने विचार व्यक्त किया कि राष्ट्रमंडल देशों की लोकतांत्रिक संस्थाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं और इन देशों को मानवता के कल्याण के सामूहिक लक्ष्य के साथ काम करना चाहिए। बिरला ने जोर देकर कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में भारत की उपलब्धियां और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में नेतृत्व लक्ष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल कर लेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि यहां पहली बार भारत में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की मध्य वर्ष की कार्यकारी समिति की बैठक हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश के लोकतांत्रिक ढांचे में, असम विधान सभा, भारत की सबसे पुरानी विधानसभाओं में से एक है, जो उत्तर प्रदेश विधान सभा के बाद दूसरे स्थान पर है।
असम के पहले मुख्यमंत्री व भारत रत्न गोपीनाथ बोरदोलोई को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले आठ दशकों के दौरान असम विधान सभा ने कई ऐतिहासिक बहसें देखी हैं, जिसमें कई महान हस्तियां ने लोकतंत्र के इस मंदिर को सुशोभित किया है। राज्य के विकास में विधानसभा की भूमिका का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम विधानसभा ने राज्य के विकास की कहानी को एक दिशा देते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक और शैक्षणिक ढांचे को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा ने कई ऐतिहासिक विधेयक पारित किए हैं, जिससे लोगों के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आए हैं।
सीपीए के कार्यवाहक अध्यक्ष इयान लिडेल-ग्रेंजर ने सीपीए की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए आशा व्यक्त की कि गुवाहाटी में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान सार्थक चर्चा होगी और वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए रणनीतियों को खोजने में मदद मिलेगी।
असम विधान सभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
सीपीए कार्यकारी समिति ने तीन साल बाद कोरोना महामारी की स्थिति सामान्य होने के बाद गुवाहाटी में आमने-सामने मुलाकात की, जिसमें राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधियों ने सशरीर और आभासी माध्यम से भाग लिया।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री, संसद सदस्य, असम सरकार के मंत्री, विधान सभा के सदस्य और लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह उपस्थित रहे।