नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा की मानिटरिंग करनेवाली सुपरवाइजरी कमेटी को निर्देश दिया है कि वो बांध के सुरक्षा प्रबंधों की मानिटरिंग करना जारी रखे। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बांध सुरक्षा अधिनियम के तहत जब तक राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार काम शुरू नहीं कर देता है तब तक सुपरवाइजरी कमेटी बांध की सुरक्षा की मानिटरिंग करती रहेगी।
कोर्ट ने सुपरवाइजरी कमेटी के काम की सराहना करते हुए इस कमेटी में केरल और तमिलनाडु से एक-एक तकनीकी विशेषज्ञ को शामिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सुपरवाइजरी कमेटी के दिशानिर्देश और अनुशंसाओं को दोनों राज्य लागू करेंगे। सुपरवाइजरी कमेटी के आदेशों को नहीं मानना कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरवाइजरी कमेटी बांध की सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों के प्रतिवेदनों पर विचार कर सकती है और कमेटी उन आवेदनों को समयबद्ध तरीके से निपटारा करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को केंद्र, तमिलनाडु और केरल सरकार से कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षण कमेटी को राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार की तरह अधिकार देने पर विचार करें। सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि कोर्ट इस मामले में पर्यवेक्षण कमेटी का गठन करे जिसमें तमिलनाडु और केरल के सदस्य शामिल हों। इस कमेटी में दोनों राज्यों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए। तब कोर्ट ने कहा था कि ये कमेटी राष्ट्रीय बांध प्राधिकार की तरह सभी जिम्मेदारियों को पूरा करे।
केरल सरकार ने 23 मार्च को कहा था कि बांध सुरक्षित नहीं है और अगर यह बांध टूटता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। पहले की सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने कहा था कि 126 साल पुराने इस बांध का लगातार मरम्मत कर काम चलाया जा रहा है। इसका एक मात्र समाधान है कि एक नए बांध का निर्माण कराया जाए। केरल सरकार के रुख का तमिलनाडु सरकार ने विरोध किया है। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश का पालन करने की मांग की है। तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि ये बांध ढांचागत रूप से मजबूत और सुरक्षित है। केरल सरकार और वहां के कुछ लोगों और संगठनों की ये आशंका निर्मूल है कि इस बांध से केरल के लोगों को खतरा है।