नई दिल्ली, 06 अप्रैल (हि.स.)। राज्यसभा ने बुधवार को को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही पुलिस को अपराध के दोषी और अन्य की जांच व पहचान के लिए बायोमेट्रिक जानकारी लेने का अधिकार देने संबंधी विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022 को चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया।
उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा कि यह विधेयक बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 का स्थान लेगा। सरकार की मंशा इसके पीछे कानून को मजबूत करना है, बंदियों को सजा के बाद सुधारने का प्रयास करना है और कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा कि विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रहे। अगली पीढ़ी के अपराधों को पुरानी तकनीकों से नहीं निपटा जा सकता है। आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले युग में ले जाने का प्रयास करना होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में सख्ती के मामले में यह कानून ‘बच्चा’ (कुछ नहीं) है। दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में अधिक कड़े कानून हैं। यही वजह है कि उनकी आरोपियों को सजा दिलाने की दर बेहतर है।
विपक्ष की ओर से विधेयक पर चर्चा के दौरान मानवाधिकार का मुद्दा उठाया गया। इसपर गृहमंत्री ने कहा कि जब बम विस्फोट होते हैं, आतंकवादी हमलों में हजारों लोग मारे जाते हैं, पीड़ितों के भी मानवाधिकार होते हैं, न कि केवल आतंकवादियों के। केंद्र को कानून का पालन करने वाले नागरिकों के मानवाधिकारों की चिंता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक पर डेटा प्रोटेक्शन को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। वह सदन को आश्वस्त करते हैं कि विधेयक किसी दुरुपयोग के लिए नहीं लाया गया है और इसमें डेटा के दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं है। डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा इसका वह आश्वासन देते हैं। उन्होंने कहा कि डेटा को किसी से साझा नहीं किया जाएगा। हालांकि डेटा से जुड़ा कोई प्रश्न प्राप्त होता है तो उसका डेटा का उपयोग कर उत्तर दिया जाएगा। यह कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर उपयोग किया जा सकेगा।