Parliament : दिल्ली नगर निगमों के एकीकरण संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी

नई दिल्ली, 05 अप्रैल (हि.स.)। राज्यसभा ने मंगलवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही इस विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा विधेयक को 30 मार्च को ही पारित कर चुकी है।

गृहमंत्री ने आज सदन में चर्चा के लिए दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को पेश किया। सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस विधेयक से तीन नगर निगमों (उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम) को मिलाकर एक किए जाने का प्रावधान है। इस विधेयक से नगर निगमों पर होने वाले खर्च में कटौती होगी।

गृह मंत्री ने अपने वक्तव्य में दिल्ली के नगर निगमों को एक करने से जुड़ी प्रासंगिकता बताई। उन्होंने कहा कि तीनों निगमों के एक होने से व्यवस्था चुस्त-तंदुरूस्त होगी, दिल्ली में ढांचागत सुविधाओं को विस्तार मिलेगा और निगम आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनेगा।

गृह मंत्री ने दिल्ली सरकार की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का भी उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि ये विधेयक संघीय ढ़ांचे पर किसी भी दृष्टि से कोई आघात नहीं करता। जो लोग सत्ता में हैं और हर रोज हाय-तौबा करते हैं उन्हें चुनाव लड़ते वक्त ये देख लेना चाहिए कि लड़ने के बाद कितने अधिकार मिलेंगे। अगर अधिकार से संतुष्टि नहीं है तो नहीं लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव छह महीने बाद होने पर भी राजनीतिक परिस्थियां बदलने वाली नहीं है। डर वह रहे हैं जिन्हें लगता है कि वह छह महीने बाद चुनाव नहीं जीत पायेंगे।

उन्होंने कहा कि विधेयक को निगमों के कार्यकाल समाप्त होने पर लाया गया है ताकि चुने हुए पार्षदों के लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा हो। साथ ही यह कहना गलत होगा कि हार के डर से विधेयक लाया गया है।

अमित शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली के नगर निगमों के वित्तीय अनुदान को रोककर आर्थिक रूप से इनका गला घोटने का प्रयास किया है। नगर निगमों का हक रोकने के चलते वह वर्तमान में 11 हजार करोड़ के घाटे में है। दिल्ली सरकार ऐसा नहीं करती तो निगम 20 हजार करोड़ के मुनाफे में होते।

गृह मंत्री ने बहस के दौरान राज्यों के अधिकारों का मुद्दा उठाने पर संविधान का हवाला दिया। शाह ने कहा कि संविधान में संघ शासित राज्य और राज्य में अंतर स्पष्ट है। दिल्ली संघ शासित राज्य है। केन्द्र को उसके लिए विधेयक लाने का पूर्ण अधिकार है।

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