नई दिल्ली, 05 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लापेरियार बांध के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र, तमिलनाडु और केरल सरकार से कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षण कमेटी को राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार की तरह अधिकार देने पर विचार करें। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने 7 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोर्ट इस मामले में पर्यवेक्षण कमेटी का गठन करे, जिसमें तमिलनाडु और केरल के सदस्य शामिल हों। इस कमेटी में दोनों राज्यों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि ये कमेटी राष्ट्रीय बांध प्राधिकार की तरह सभी जिम्मेदारियों को पूरा करे। कोर्ट ने ये साफ दिया कि मुल्ला पेरियार बांध के मामले में राष्ट्रीय बांध प्राधिकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।
केरल सरकार ने 23 मार्च को कहा था कि बांध सुरक्षित नहीं है और अगर यह बांध टूटता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। पहले की सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने कहा था कि 126 साल पुराने इस बांध का लगातार मरम्मत कर काम चलाया जा रहा है। इसका एक मात्र समाधान है कि एक नए बांध का निर्माण कराया जाए। केरल सरकार के रुख का तमिलनाडु सरकार ने विरोध किया है। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश का पालन करने की मांग की है। तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि ये बांध ढांचागत रूप से मजबूत और सुरक्षित है। केरल सरकार और वहां के कुछ लोगों और संगठनों की ये आशंका निर्मूल है कि इस बांध से केरल के लोगों को खतरा है।