नई दिल्ली, 05 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ते दर पर अनाज लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने के नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि अगर आप राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मुफ्त राशन देने चाहते हैं तो आपसे आधार कार्ड मांगा जा सकता है।
यह याचिका रोजी-रोटी अधिकार अभियान नामक संस्था ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील अपर गुप्ता और प्रसन्ना एस ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने में व्यापक गड़बड़ियां की जा रही हैं। राशन की दुकानें कार्यदिवसों के दिन बंद रहते हैं। इसे लेकर की गई शिकायतों के निपटारे का कोई मेकानिज्म नहीं है। याचिका में कहा गया था कि खाद्य सुरक्षा कानून को ठीक से लागू नहीं कर संविधान की धारा 21 का उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि कोरोना संक्रमण के दौरान काफी लोग अनाज के बिना असहाय हो गए।
याचिका में कहा गया था कि चार साल के बाद भी दिल्ली सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून के उस प्रावधान को लागू नहीं किया है जिसमें शिकायतों के निवारण के लिए कमेटी गठित करने की बात है। याचिका में कहा गया था कि इस कानून की धारा 14, 15, 16 और 28 के तहत शिकायत निवारण कमेटी गठित करने का प्रावधान किया गया है।
याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत चलनेवाली विभिन्न योजनाएं हजारों परिवारों की जीवनरेखा है। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार राशन से संबंधित डाटा अपने बेवसाइट पर प्रकाशित करें। डाटा में राशन के वितरण का रियल टाइम ब्यौरा दर्ज हो। याचिका में मांग की गई थी कि सरकारी स्कूलों में चलनेवाले मिड डे मिल की योजना को जारी रखा जाए।