नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और भारी दबाव के बावजूद रूस-भारत की साझेदारी तथा दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रूस भारत की हर आयात मांग की पूर्ति करने को तैयार है।
यूक्रेन के सैन्य संघर्ष के बीच लावरोव ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में नवीनतम घटनाक्रम के साथ ही अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर द्विपक्षीय व्यापारिक लेन-देन पर विचार-विमर्श किया।
लावरोव ने कहा कि अमेरिका और पश्चिमी देश अन्य देशों पर अपनी नीतियां थोपना चाहते हैं। लेकिन उनका कोई भी दवाब भारत-रूस संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत रूस के बीच व्यापारिक लेन-देन के लिए रूसी मुद्रा रूबल और रुपये में लेन-देन की व्यवस्था थी। दोनों देश लेन-देन के बारे में किसी आम राय पर जल्द ही कोई सहमति बना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि रूस ने रियायती दाम पर भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने की पेशकश की है। कई भारतीय कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र और स्वायत्त नीति अपनाती है। रूस भी ऐसी ही विदेश नीति अपनाता है। यही कारण है कि दोनों देश अच्छे मित्र और भरोसेमंद साथी हैं।
यूक्रेन संकट के बारे में भारत की मध्यस्ता की संभावना के बारे में पूछे जाने पर लावरोव ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण देश है। भारत मसला सुलझाने में सहायता कर सकता है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन से सुरक्षा गारंटी चाहता है। अमेरिका और पश्चिमी देश रूस के सुरक्षा हितों की अनदेखी कर रहे हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों पर प्रहार करते हुए लावरोव ने कहा कि इन देशों का असली चेहरा दुनिया के सामने उजागर हो गया है। जहां तक रूस का संबंध है उसे पश्चिमी देशों की ओर से प्रतिबंध लगाये जाने का पुराना अनुभव है। रूस को प्रतिबंधों के साथ जीने की आदत हो गई है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश प्रतिबंधों का सामना करने के लिए डॉलर और यूरो के बजाय रूबल और अन्य देशों की मुद्राओं में लेन-देन करने का निश्चय किया है।
विदेश मंत्रालय ने लावरोव और जयशंकर के बीच बातचीत के संबंध में ब्यौरा देते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने हाल के घटनाक्रम से व्यापार और आर्थिक संबंधों पर पड़ने वाले परिणामों का जायजा लिया। जयशंकर ने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत पर दुनिया में होने वाली उथल-पुथल का प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि भारत और रूस के बीच आर्थिक, प्रौद्योगिकी और औद्योगिकी संबंध स्थाई बने रहें।
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार लावरोव ने यूक्रेन के घटनाक्रम के बारे में अपने पक्ष का ब्यौरा दिया। उन्होंने यूक्रेन और रूस के बीच चल रही बातचीत की भी जानकारी दी।
जयशंकर ने इस पुराने रवैये को दोहराया कि यूक्रेन में हिंसा और संघर्ष बंद हो तथा बातचीत और कूटनीति के जरिय मामला सुलझाया जाए। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र, विभिन्न देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अंखडता का ध्यान रखा जाए।
दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के हालात पर भी बातचीत की। लावरोव ने चीन में आयोजित अफगानिस्तान संबंधी बैठक के विचार-विमर्श से भारतीय पक्ष को अवगत कराया।