नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने अरब सागर में द्विपक्षीय अभ्यास ”वरुण” की शुरुआत बुधवार से की है। दोनों नौसेनाओं के बीच 3 अप्रैल तक चलने वाला यह नौसैन्य अभ्यास भारत-फ्रांस के रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
दोनों नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास की शुरुआत 1993 में हुई थी। इस अभ्यास को 2001 में ”वरुण” नाम दिया गया था। इस अभ्यास में दोनों नौसेनाओं के जहाजों, पनडुब्बियों, समुद्री गश्ती विमानों, लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न इकाइयां भाग ले रही हैं। ये इकाइयां समुद्री थिएटर में अपने परिचालन कौशल को बढ़ाने और सुधारने का प्रयास करेंगी। समुद्री सुरक्षा संचालन करने के लिए अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाएंगी और एकीकृत बल के रूप में क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करेंगी।
पिछले कुछ वर्षों में कार्यक्षेत्र और जटिलता में वृद्धि होने के बाद अभ्यासों की ”वरुण” श्रृंखला दोनों नौसेनाओं को एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के अवसर प्रदान करती रही है। यह अभ्यास दोनों नौसेनाओं के बीच परिचालन स्तर की बातचीत के लिए एक प्रमुख मंच रहा है। यह अभ्यास वैश्विक समुद्री कॉमन्स की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
वार्षिक रूप से आयोजित होने वाला ”वरुण” नौसैनिक अभ्यास 21वीं सदी में फ्रांस-भारत रणनीतिक संबंधों का एक अभिन्न अंग है। इसमें फ्रांसीसी नौसेना और भारतीय नौसेना के बीच नौसैनिक सहयोग अभ्यास शामिल हैं। संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य क्रॉस-डेक संचालन, पुनःपूर्ति-एट-सी, माइनस्वीपिंग, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सूचना साझा करने जैसी क्षमताओं पर भारत-फ्रांस समन्वय में सुधार करना है।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर बढ़ती चिंता को लेकर भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने पिछले साल कई बड़े युद्धाभ्यास किये हैं।दोनों सेनाओं ने अप्रैल, 2021 में द्विपक्षीय अभ्यास ‘वरुण-2021’ का 19वां संस्करण अरब सागर में करके चीन को एक मजबूत संदेश दिया था। फ्रांसीसी नौसेना ने अपने परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और उसके पूरे वाहक समूह को अभ्यास में तैनात किया था, जो दोनों देशों के नौसेना संबंधों में बढ़ती एकरूपता को दर्शाता है।