चीनी उद्योग के फायदा, सह उत्पाद में मिलती कंप्रेस्ड बायोगैस, एथेनाल और बिजली – नरेन्द्र मोहन

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर ने वेबीनार में भारतीय चीनी उद्योग में विविधीकरण के दौर में ऊर्जा प्रबंधन की जानकारियां

-वेबीनार में शामिल अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, कोलम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस के प्रतिनिधियों ने एनएसआई की शोध योजनाओं को सराहा

कानपुर, 30 मार्च (हि.स.)। “पर्यावरण को कार्बन-रहित करने में गन्ना आधारित चीनी उद्योग का योगदान” विषय पर इन्टरनेशनल सोसायटी ऑफ केन-शुगर टेक्नोलोजिस्ट के द्वारा एक वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार मेें अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, कोलम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, भारत और मॉरीशस से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि शामिल हुये।

इस अवसर पर कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक नरेंद्र मोहन को भारत से एकमात्र वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने “भारतीय चीनी उद्योग में विविधीकरण के दौर में ऊर्जा प्रबंधन” विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा उत्पादन के स्थान पर गन्ना आधारित चीनी उद्योग को स्वच्छ, हरित और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के केंद्र के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है। इस प्रकार यह उद्योग कार्बन उत्सर्जन को कम करने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

नरेंद्र मोहन ने कहा कि कम्प्रेस्ड बायोगैस, विद्युत तथा ईथनोल, ऊर्जा के तीन स्वरूप हैं, जिन्हें चीनी उद्योग के सह-उत्पाद से प्राप्त किया जा सकता है और इस उद्योग के इस क्षमता का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने इस अवसर पर चीनी, ऊर्जा और ईथनोल उत्पादन के संयुक्त उत्पादन मॉडल को भी प्रस्तुत किया, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ ग्रिड को ऊर्जा आपूर्ति में भी सक्षम है।

उन्होंने इस संबंध में कहा कि ईथनोल इकाई की क्षमता का निर्धारण उससे जुड़े चीनी उत्पादन इकाई की पेराई क्षमता के आधार पर होना चाहिए, ताकि इससे जुड़ी ईथनोल इकाई को वर्ष भर कार्य करते रहने के लिए पर्याप्त फीड (कच्चे माल) की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

कार्यक्रम के दौरान जर्मनी से सैदह विच्ट ने कम तापमान पर बगास को सुखाने के बारे में बताया, जिससे ऊर्जा उत्पादन के दौरान कम ईंधन की खपत में अधिक ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पेराई से प्राप्त बगास में 48-50 प्रतिश्त नमी होती है यदि इस स्तर को 40-42 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाय तो प्रति इकाई बगास से अधिक स्टीम उत्पन्न हो सकती है, जिससे ज्यादा ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है।

जर्मनी के ही एक अन्य विशेषज्ञ डॉ. बोरिस मोर्गनरोथ ने कार्यक्रम में चीनी उद्योग के द्वारा पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन कम करने की क्षमता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के दौरान आस्ट्रेलिया से मारग्रेट रेनौफ और जर्मनी के स्टीफन जहांके के द्वारा चीनी मिलों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से ऊर्जा चक्र प्रबंधन पर प्रस्तुति दी गयी।

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