Rajasthan Assembly : राजस्थान विधानसभा में रो पड़े नेता प्रतिपक्ष कटारिया

जयपुर, 24 मार्च (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2022 पर बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया फफक-फफक कर रो पड़े। कटारिया पेपर लीक से परेशान गरीब अभ्यर्थियों की पीड़ा पर रो पड़े। कटारिया ने कहा कि गड़बड़ी की जड़ कोचिंग सेंटर वाले हैं, वार करना है तो वहां करो। गरीब खेत बेचकर बच्चों को पढ़ाता है और ये पैसे वाले पेपर आउट कराकर नौकरी लग जाते हैं और गरीब का बच्चा रोता रह जाता है। ये कहते हुए कटारिया फूट फूट कर रो पड़े।

विधेयक पर बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने खुलासा किया कि सरकार 1992 में भी एक नकल विरोधी बिल ला चुकी है। कानून पहले से ही बना हुआ है तो नए की क्या जरूरत है। उन्होंने पूछा कि सरकार बताए कि पुराने कानून के तहत किस किस को सजा हुई। उन्होंने कहा कि नकल कानून बनाने से नहीं रुकेगी। इसके लिए सरकार को व्यवस्था बदलनी होगी।

उन्होंने कहा कि पैसे वाले लोगों के पास आपने सारी सरकारी नौकरियों को बेच दिया, उस गरीब का क्या होगा? आठ साल में जो नौकरियां लगी हैं, आप जांच करवाओ, आधे मामले फर्जी नजर आएंगे। गरीब के बच्चे का सिलेक्शन नहीं होता तो वह जहर खाकर मरता है, कोई उसकी पीड़ा को समझने वाला नहीं है। मुझे इस पर बोलने की इच्छा नहीं है। इस कानून से कुछ नहीं होगा।

बहस में हिस्सा लेते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि ये विधेयक उत्तर प्रदेश सरकार के बिल की नकल है। नकल ही करनी है तो योगी सरकार चलाने के तरीके की भी कीजिए। उत्तर प्रदेश में नकल करने वालों पर एनएसए के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। राठौड़ ने कहा कि आज कई कोचिंग सेंटर भी पेपर लीक में शामिल हैं, मैंने नेता प्रतिपक्ष को एक विज्ञापन दिखाया, जिसमें पटवार परीक्षा में गारंटेड सेलेक्शन का दावा और सेलेक्शन नहीं होने पर पैसा वापस करने का दावा किया गया था, यह बिना मिलीभगत नहीं हो सकता। कोचिंग सेंटर वाले जो दावा करते हैं, एक-एक महीने पहले पेपर के सवाल इनके पास चले जाते हैं।

भाजपा विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि नकल रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। क्या सरकार को नौजवानों के भविष्य के प्रति चिंता थी। सरकार ने अब तक लीपापोती के अलावा कुछ नहीं किया। रीट नकल की जांच सीबीआई को दी जानी चाहिए। पूनिया ने कहा कि सरकार के संरक्षण में नकल हुई। सरकार का इकबाल खत्म हो गया। केवल कानून बन जाने मात्र से नकल रुक जाएगी? नकल रोकने का कानून तो पहले से ही है।

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