नई दिल्ली, 23 मार्च (हि.स.)। आयुष मंत्रालय रुमेटॉयड अर्थराइटिस (गठिया) के उपचार में आयुर्वेद की प्रभावशीलता की जांच करने के लिए विश्व के प्रथम मल्टीसेंटर फेज-तीन नैदानिक परीक्षण का संचालन करने जा रहा है। इसकी निगरानी अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के विख्यात रुमेटॉलॉजिस्ट डॉ. एडजार्ड अर्नेस्ट कर रहे हैं।
यह परियोजना गठिया रोग के प्रबंधन में आयुर्वेद की प्रभावशीलता पर पहली बार मल्टी सेंटर फेज-तीन परीक्षण किया जा रहा है। इसका संचालन आर्या वैद्य फार्मेंसी (कोयंबटूर) लिमिटेड के साथ संबद्ध एक अनुसंधान संस्थान एवीपी रिसर्च फाउंडेशन तथा आयुष मंत्रालय के तहत भारत सरकार की एक एजेंसी सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद (सीसीआएएस) करेगा।
विश्व के विख्यात रुमेटॉलॉजिस्ट डॉ. एडजार्ड अर्नेस्ट, जो वर्तमान में अर्थराइटिस एसोसिएशन ऑफ साऊथ कैलिफोर्निया (एएएससी) में नैदानिक परीक्षण के निदेशक हैं तथा सीएएम के मुखर आलोचक हैं, ने पूरक और वैकल्पिक दवा (सीएएम) पर भविष्य के परीक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में अध्ययन का समर्थन किया। उन्होंने अध्ययन की रूपरेखा बनाई है और वह इसका मार्गदर्शन करेंगे।
बंगलुरु स्थित मेटाबोलिक विकारों के लिए केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान अधिकारी डॉ. एम एन शुभाश्री ने कहा, ‘इस अध्ययन के मई 2022 में आरभ होने की उम्मीद है। इसके अगले दो वर्ष में पूरा हो जाने की आशा की जाती है। सैंपल का आकार 48 रोगियों से लगभग पांच गुना बढ़कर 240 तक पहुंच गया है।’ नैदानिक परीक्षण का संचालन तीन स्थानों- कोयंबटूर स्थित एवीपी रिसर्च फाउंडेशन, बंगलुरु स्थित मेटाबोलिक विकारों के लिए केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान तथा मुंबई स्थित राजा रामदेव आनंदीलाला केंद्रीय कैंसर अनुसंधान संस्थान पर किया जाएगा।