नई दिल्ली, 20 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में संत समाज की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखने में संतों और भक्ति आंदोलन ने अहम निभाई थी।
प्रधानमंत्री रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के अहमदाबाद में एसजीवीपी गुरुकुल में भाव वंदना पर्व को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने गुरुदेव श्री शास्त्रीजी महाराज के जीवन पर आधारित पुस्तक “श्री धर्मजीवन गाथा” का विमोचन भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव और अमृत काल में योगदान देने के लिए गुरुकुल परिवार आगे आ सकता है। महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चितताओं और यूक्रेन की स्थिति जैसे संकटों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता के महत्व को दोहराया। उन्होंने गुरुकुल परिवार को वोकल फॉर लोकल बनाने को कहा। मोदी ने उन्हें रोजमर्रा के उपयोग की चीजों की एक सूची बनाने और आयातित वस्तुओं पर निर्भरता की सीमा का आकलन करने के लिए कहा। यदि कोई वस्तु उपलब्ध है जो किसी भारतीय के पसीने से बनी है, तो उसे हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसी तरह, परिवार एकल उपयोग प्लास्टिक से बचकर स्वच्छ भारत अभियान में योगदान दे सकता है।
उन्होंने स्वच्छता में सुधार के लिए नियमित रूप से समूहों में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी या स्थानीय मूर्तियों जैसे स्थानों पर जाने के लिए कहा। उन्होंने धरती को रासायनिक और अन्य नुकसान से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुकुल इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महान व्यक्तियों के कार्य और कहानियां अक्सर लिखित रूप में दर्ज होने के बजाय स्मृति और मौखिक परंपरा में ही रहती हैं। उन्होंने कहा कि पूज्य शास्त्रीजी महाराज की जीवनी लिखित रूप में एक ऐसे व्यक्तित्व का निस्वार्थ जीवन प्रस्तुत करेगी जो ज्ञान की खोज और समाज की सेवा के प्रति समर्पित रहे । पूज्य शास्त्रीजी महाराज के सभी के कल्याण के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की उनकी दृष्टि शास्त्रीजी महाराज जैसे महान लोगों से प्रेरणा लेती है और ‘सर्वजन हिताय’ सर्वजन सुखाय’ के दर्शन पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राचीन भारत की गुरुकुल परंपरा ‘सर्वजन हिताय’ का अवतार थी क्योंकि गुरुकुल में जीवन के सभी क्षेत्रों के छात्र एक साथ अध्ययन करते थे। इस परंपरा में भव्य अतीत और गौरवशाली भविष्य को जोड़ने का बीज है। यह परंपरा देश के आम लोगों को धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रेरणा देती है। शास्त्री जी ने अपने गुरुकुल के माध्यम से दुनिया भर में कई लोगों के जीवन को आकार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “उनका जीवन केवल उपदेश या आदेश नहीं था, बल्कि अनुशासन और तपस्या की एक सतत धारा थी।
एसजीवीपी गुरुकुल के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने महान संस्थान के प्राचीन ज्ञान में आधुनिकता के तत्वों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शास्त्रीजी ने समय की जरूरतों के अनुसार प्राचीन ज्ञान को अपनाने और ठहराव से बचने पर जोर दिया।