कामरूप (असम), 18 मार्च (हि.स.)। कामरूप जिले के मिलनपुर गांव में 100 से अधिक गिद्ध मृत पाए गाए हैं। जिला वन अधिकारी डिम्पी बरा ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि बीती रात सूचना मिली थी कि मिलनपुर में बड़ी संख्या में गिद्ध मर रहे हैं। अगली सुबह टीम को मिलनपुर भेजा गया। टीम को 100 से अधिक गिद्ध मृत मिले।
जिला वन अधिकारी डिम्पी बरा ने कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में गिद्धों की मौत चिंता का विषय है। जिस जगह पर गिद्धों की मौत हुई है वहां बकरी की हड्डी मिली है। स्थानीय लोग लावारिस कुत्तों को मारने के लिए मरे हुए जानवर में जहर डाल कर फेंक देते हैं। संभवत ऐसे ही किसी जानवर का मांस खाने के बाद इन गिद्धों की मौत हुई हो। गिद्धों के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही असल जानकारी सामने आएगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दशक में देश में गिद्धों की संख्या में तेजी से कमी आई है और यह 4 करोड़ से घटकर 4 लाख से भी कम रह गई है। ज्यादातर गिद्धों की मौत जानवरों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा ‘डाइक्लोफेनेक’ की वजह से हुई है। क्योंकि गिद्ध मृत जानवरों को खाते हैं। हालांकि देश में अब इस दवा को प्रतिबंधित किया जा चुका है। मगर पर्यावरणविदों को कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम इसका इस्तेमाल हो रहा है। गिद्धों की मौत के कारणों केअध्ययन के लिये वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में गिद्ध देखभाल केंद्र स्थापित किया गया। वर्ष 2004 में इसे उन्नत कर देश का पहला ‘गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ स्थापित किया गया।