बेगूसराय, 18 मार्च (हि.स.)।अनूठी भू-जलवायु और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण भारत कई प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के लिए अलग-अलग स्थिति में संवेदनशील रहा है। देश के विभिन्न हिस्से चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूकंप, भूस्खलन आदि के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं। स्थानीय समुदायों द्वारा जोखिम कम करने और जल्दी ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए पंचायती राज मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन योजना तैयार किया है। जिससे कि समुदाय एवं सभी पंचायती राज संस्थाओं को किसी भी आपदा के लिए तैयार किया जा सके।
केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि किसी भी आपदा से निपटने के लिए देश के सभी गांव एवं पंचायत को और सशक्त बनाया जाएगा। इसके लिए तैयार किया गया पंचायती राज मंत्रालय के ”आपदा प्रबंधन योजना” का विमोचन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के प्रबंधन एवं उसके प्रभाव को कम करने में पंचायतों की भूमिका तथा विशेष रूप से जागरूकता पैदा करने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस के खिलाफ गांव-पंचायत द्वारा सामूहिक लड़ाई का नेतृत्व करने की सराहना की है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा तैयार की गई आपदा प्रबंधन योजना ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और योजना में अभिसरण लाने में सरकार के प्रयासों में योगदान देगी।
पंचायती राज मंत्रालय के आपदा प्रबंधन योजना में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति 2009 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अलावा कई नवाचार शामिल हैं। इस आपदा प्रबंधन योजना (डीएमपी-एमओपीआर) को गांव से लेकर जिला पंचायत स्तर तक समुदाय आधारित योजना के व्यापक परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है। योजना के तहत प्रत्येक गांव में ”ग्राम आपदा प्रबंधन योजना” होगी और प्रत्येक पंचायत की अपनी आपदा प्रबंधन योजना होगी।
गिरिराज सिंह ने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन योजना का विकास पंचायतों के बीच जमीनी स्तर पर आपदा लचीलापन विकसित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन उपायों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ संरेखित करने के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने के उद्देश्य से किया है। आपदा प्रबंधन के लिए तैयारियों में लोगों की भागीदारी का आह्वान उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा तैयारी रणनीति में समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के लिए समुदाय की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। आपदा की स्थिति में चुनौतियों को कम करने के लिए पंचायत और ग्राम स्तर की आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने की आवश्यकता है। इसलिए देश में पंचायतों के सर्वांगीण विकास के लिए मास्टर प्लान बनाते समय आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना के अनुरूप गांवों और पंचायतों द्वारा तैयार किया गया डीएमपी, व्यापक तरीके से आपदाओं से निपटने के लिए उपयोगी होगा। पीआरआई, निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायतों के पदाधिकारियों सहित सभी हितधारक योजना के नियोजन, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन में भाग लेंगे। यह योजना डीएमपी के लिए एक भागीदारी योजना प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत उपयोगी होगी, जो देश भर में आपदाओं का समाधान करने के लिए जीपीडीपी के साथ एकीकृत है और समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन के नए युग की शुरुआत करेगी।