अरुणाचल विस में 644.81 करोड़ के घाटे का बजट ध्वनिमत से पारित

इटानगर, 17 मार्च (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश विधान सभा में 644.81 करोड़ रुपये के घाटे का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया है। राज्य के वित्त मंत्री चोना मिन ने 14 मार्च को विधानसभा में बजट पेश किया था। जिस पर बुधवार को देर रात तक चली बहश के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया।

बजत सत्र के अतिम दिन देर रात तक बजट चर्चा के बाद सभी विधायको ने वर्ष 2022-23 के लिए पेश किये गये 644.81 करोड़ के घाटे के बजट को ध्वनिमत से पारित किया। उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री चोना मिन ने बजट के बारे में सदन को बताया कि इस साल का बजट छह मूल मंत्रों के साथ तैयार किया गाया है। जिसमें राज्य के सभी क्षेत्रों खास कर विकास और अत्मनिर्भर अरुणाचल प्रेदश, भागवानी, कृषी, युवाओ का उत्थान, स्वास्थाय विभाग में सुधार आदि पर ध्यान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों में हम 24,253.54 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्तियों और 1,858.09 करोड़ रुपये के पूंजीगत प्राप्तियों का अनुमान लगा रहे हैं, जिससे कुल प्राप्तियां 26,111.63 करोड़ रुपये हैं, जो कुल अनुमानित प्राप्तियों की तुलना में 15.64 प्रतिशत अधिक है।

उन्होंने बताया कि बजट अनुमान 2021-22 में 22,581.00 करोड़, 2021-22 के संशोधित अनुमानों में कुल प्राप्तियां बढ़कर 26,131.00 करोड़ रुपये हो गईं। इससे पहले शून्य काल में कांग्रेस विधायक निनोंग इरिंग ने “अनुच्छेद 371 (एच) से अनुच्छेद 371 (ए) के संशोधन” के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश अनुच्छेद 371 (एच) होने के कारण राज्य के संसाधन को सही इस्तेमाल नहीं कर पाने के कारण राज्य में आय उत्पन्न नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की सरकार राज्य का मालिक होकर भी मालिक नहीं है। उन्होंने अरुणाचल प्रेदश को अनुच्छेद 371 (ए) और (जी) के अधिन लाने के लिए सरकार को कार्रवायी करने का आह्वान किया। इसका जवाब देते हुए मुख्य मंत्री पेमा खांडू ने कहा कि इन मुद्दों पर राज्य के सभी राजनीतिक पार्टियां, स्थानीय समुदाय, संगठन, छात्र संघ, हितधारकों के साथ बैठक के बाद 2020 में ही केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस पर कार्रवाही रुक गयी। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एक उच्च स्तरीय दल का गठन कर बहुत जल्द केंद्रीय कानून मंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात करेंगे।

अन्य एक चर्चा के दौरान “वनों के अनारक्षण और उपयोगकर्ता एजेंसियों द्वारा वन क्षेत्रों के लिए एनपीवी के भुगतान के मुद्दे” के संबंध में लघु अवधि की चर्चा को बढ़ाते हुए कहा कि राज्य के अधिकतर स्थान वन आरक्षित श्रेणी में होने कारण इसमें बाधा आ रही है। इस मुद्दे पर जबाब देते हुए वन मंत्री मामा नातुंग ने कहा कि सरकार ने अनारक्षण प्रक्रिया शुरू कर दिया है और सभी जिलों के जिला अधिकारियों को आरक्षित वन क्षेत्र में बसे हुए लोगों की रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है।

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