योगी बना सकते हैं नए रिकार्ड, टूटेगा नोएडा का अंधविश्वास
लखनऊ, 10 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा चुनाव की मतगणना सुबह आठ बजे से जारी है। शुरू से ही आगे चल रही सत्तारूढ़ भाजपा अपनी बढ़त लगातार बनाए हुए है।
अब तक के रुझानों में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए करीब 275 सीटों पर बढ़त बना ली है। वहीं, सपा 110 सीटों पर, बसपा पांच और कांग्रेस तीन सीटों पर आगे चल रही है। खास बात यह है कि भाजपा की बढ़त के आंकड़े में जैसे-जैसे इजाफा हो रहा है, सपा, बसपा और कांग्रेस की बढ़त वाली सीटों की संख्या में क्रमशः गिरावट जारी है।
पूर्वाह्न 11 बजे तक के रुझान से उप्र में भाजपा सरकार की वापसी के आसार बढ़ गये हैं। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यदि योगी आदित्यनाथ विधायकी जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह एक साथ कई रिकार्ड बनाएंगे। करीब 37 साल बाद लगातार दूसरी बार सत्ता की बाजी मारेंगे। इससे पहले वर्ष 1985 में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री रहते हुए लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने थे।
इसी तरह गोरखपुर जिले से बतौर मुख्यमंत्री विधानसभा का चुनाव जीतने वाले आदित्यनाथ पहले नेता होंगे। इससे पहले वर्ष 1971 में त्रिभुवन नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए गोरखपुर जिले से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गये थे।
नोएडा का अंधविश्वास भी तोड़ेंगे योगी
उत्तर प्रदेश का दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही आदित्यनाथ नोएडा के अंधविश्वास को भी तोड़ने में सफल होंगे। दरअसल, पिछले कुछ दशकों से एक अंधविश्वास या मिथक चल रहा है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ नहीं ले पाता है। इसी अंधविश्वास के चलते वर्ष 2012 में नोएडा से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो पूरे कार्यकाल में वह एक बार भी नोएडा नहीं गये। यह मिथक 1988 में उस समय प्रारम्भ हुआ जब बतौर मुख्यमंत्री नोएडा से लौटने के कुछ समय बाद ही वीर बहादुर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बाद में नारायण दत्त तिवारी को भी नोएडा दौरे के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। इसके बाद कई मुख्यमंत्रियों ने नोएडा जाने से परहेज किया, लेकिन आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को खारिज करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा गये।