देहरादून, 09 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड में कांग्रेस मतगणना से पहले सहमी हुई है। वह मतगणना के बाद अपने निर्वाचित होने वाले विधायकों को कांग्रेस शासित राज्यों में ले जाने की तैयारी में है। ऐसा माना जा रहा है कि बहुमत के करीब नहीं आने पर नव निर्वाचित विधायकों की खरीद फरोख्त की जा सकती है।
कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में सुबह से ही इस अहम रणनीति बैठक में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। कांग्रेस सह प्रभारी दीपिका पांडेय सिंह और एआईसीसी पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल के 10 मार्च को देहरादून पहुंचने की उम्मीद है। ये नेता पार्टी उम्मीदवारों के साथ समन्वय करेंगे। विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद नवनिर्वाचित विधायक वरिष्ठ नेताओं के साथ भविष्य की रणनीति तय करने के लिए देहरादून पहुंचेंगे।
इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पदाधिकारियों और देहरादून के उम्मीदवार का मिलने का क्रम जारी रहा। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पूर्व काबीना मंत्री और धर्मपुर से कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश अग्रवाल के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की।
कांग्रेस विधायकों को टूटने से बचाने के लिए ”मिशन विधायक बचाओ” अभियान के तहत काम करेगी। इसलिए कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। गोवा से सबक लेते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम नवनिर्वाचित विधायकों को विधायकी और जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही कांग्रेस उन्हें अन्य राज्यों में भेज देगी।
माना जा रहा है कांग्रेस ने विभिन्न जिलों के लिए जो पर्यवेक्षक बनाए हैं, उनका काम यह होगा कि वह नव निर्वाचित विधायकों को चार्टर प्लेन में बिठाकर सीधा कांग्रेस शासित राज्यों में ले जाएंगे। इसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया है।
कांग्रेस को डर है कि अगर वह सत्ता के करीब पहुंचे और उनके नवनिर्वाचित विधायक टूट गए तो हालात ठीक गोवा वैसे ही हो जाएंगे। उनके हाथ लड्डू तो आया, लेकिन मुंह को ना लगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने भाजपा के एकदम उत्तराखंड में सक्रिय होने और कैलाश विजयवर्गीय उत्तराखंड आने के बाद यह बड़ा फैसला लिया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आएगी। उन्होंने राज्य में 40 से 45 सीटें जीतने का दावा किया है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को षड्यंत्र का विशेषज्ञ बताते हुए कहा कि वे हवन में हड्डी डालने का काम करते हैं, लेकिन उत्तराखंड में इस बार उनका टोटका नहीं चलने वाला है।