COSC : तीनों सेनाओं के चार जवानों को मिला यूएसआई मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल

नई दिल्ली, 08 मार्च (हि.स.)। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के कार्यवाहक अध्यक्ष और सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को तीनों सेनाओं के चार जवानों को प्रतिष्ठित यूएसआई मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल प्रदान किए। साहसिक खेलों में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए भारतीय सेना से दो और नौसेना तथा वायु सेना को एक-एक मेडल मिला है। भारत के सबसे पुराने त्रि-सेवा थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन (यूएसआई) में पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया। इसमें भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों और सशस्त्र बलों के कर्मियों ने हिस्सा लिया।

भारत के सबसे पुराने त्रि-सेवा थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन के संस्थापक मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर की स्मृति में ‘मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल’ की स्थापना 03 जुलाई, 1888 को की गई थी। शुरुआत में यह पदक सैन्य टोही और मध्य एशिया, अफगानिस्तान, तिब्बत और बर्मा में ब्रिटिश सेना के अभियानों के लिए दिया जाता था लेकिन भारत की आजादी के बाद साहसिक गतिविधियों के लिए भी यह पदक देने का निर्णय लिया गया। यह पदक भारतीय सशस्त्र बलों, प्रादेशिक सेना और असम राइफल्स के सेवारत और सेवानिवृत्त सभी रैंकों को दिए जाते हैं।

क्यों दिए गए चार पुरस्कार विजेताओं को प्रशस्ति पत्र

1. भारतीय नौसेना के चीफ ईए (पी) संजय कुमार को यह पुरस्कार 2018- 2019 की उपलब्धियों के लिए दिया गया है। उन्होंने अगस्त, 2018 में खारदुंगला दर्रे को पार करने सहित 111 किलोमीटर की सबसे कठिन दौड़ ला अल्ट्रा में भाग लिया। उन्होंने सोलंग स्काई अल्ट्रा (60) में नौसेना टीम में पहला स्थान हासिल किया। वह दिसंबर,18 में 12 घंटे की स्टेडियम रन (110 कि.मी.) में उपविजेता रहे।उन्होंने जून, 2019 में हाई 5 हेल रेस (211 किलोमीटर) का प्रारूप भी जीता। उन्होंने अगस्त, 2019 में मुंबई-गोवा अल्ट्रा रिले (563 किमी.) में नया इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाया।

2. भारतीय वायु सेना के साहसिक निदेशालय के एमडब्ल्यूओ अंशु कुमार तिवारी को भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए खारदुंगला दर्रे (17982 फीट) पर पैराशूट लैंडिंग की व्यवहार्यता की जांच करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने 8 अक्टूबर, 2020 को 24 हजार फीट से सफलतापूर्वक छलांग लगाई, जिससे अंतरराष्ट्रीय इतिहास में पहली बार इस महत्वपूर्ण पैराशूट प्रणाली को मान्यता मिली।

3. आर्मी एडवेंचर नोडल सेंटर (हैंग ग्लाइडिंग), स्कूल ऑफ आर्टिलरी, देवलाली के हवलदार (अब नायब सूबेदार) संजीव कुमार ने 12 दिसंबर, 2018 को 8 घंटे 43 मिनट तक आसमान में रहकर पावर्ड हार्नेस हैंग ग्लाइडर में एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। ग्लाइडर से यह उड़ान राजस्थान में सूरतगढ़ से बाड़मेर तक 465.33 किलोमीटर की दूरी पर की गई थी। उनकी इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है क्योंकि उन्होंने 313.13 किमी के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

4. पैरा स्पेशल फोर्स बटालियन के मेजर अजय कुमार सिंह ने लद्दाख के काराकोरम से उत्तराखंड तक 1660 किलोमीटर लंबे स्की अभियान (आर्मेक्स) की योजना बनाई। उन्होंने चरम सर्दी के दौरान सफलतापूर्वक 119 दिनों तक हिमालय में 18 हजार फीट से ऊपर 26 ऊबड़-खाबड़ दर्रों को पार किया। उनके इस सफल अभियान ने अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके में सैन्य अभियानों के लिए बेहतर समझ और क्षमताओं को जन्म दिया है।

इस अवसर पर जनरल नरवणे ने भारत की सामरिक संस्कृति और भविष्य के सैन्य अधिकारियों को पेशेवर बनाने के लिए थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन की भूमिका को सराहा। उन्होंने सैन्य अन्वेषणों और चरम साहसिक खेलों की विरासत को आगे बढ़ाने में यूएसआई की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को उनकी असाधारण प्रतिभा, धैर्य और दृढ़ संकल्प के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल असाधारण प्रतिभा से संपन्न हैं और पुरस्कार विजेताओं के कारनामे दूसरों को प्रेरित करेंगे।

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