भोपाल, 08 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कोविड-19 की चुनौतियों को परास्त करते हुए मध्यप्रदेश ने स्थिर भावों पर सकल घरेलू उत्पाद में 2021-22 में 10.12% की वृद्धि हुई है। वहीं, राज्य में प्रति व्यक्ति सालाना आय में 2020-21 की तुलना में 18 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज हुई है। यह जानकारी राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में दी गई।
मंगलवार को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 जारी किया। इस मौके पर राज्य आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। सर्वेक्षण के अनुसार, स्थिर भावों पर प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 2021-22 में बढ़कर 5 करोड़ 64 लाख 514 करोड़ रुपये हो गया है। इसके 6 करोड़ 21 लाख 653 करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है। आधार वर्ष 2011-12 के स्थिर भावों पर सकल घरेलू उत्पाद 3 करोड़ 15 लाख 562 रुपये था।
इसी प्रकार, किसान हितैषी नीतियों और किसानों को संकट में मदद देने वाली योजनाओं से बढ़ी हुई जीडीपी में प्राथमिक क्षेत्र का सर्वाधिक 37.43% योगदान है। वर्ष 2021-22 अग्रिम के दौरान बीते वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 10.32 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 10.59 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्र में 9.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी अनुमानित हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिर भाव पर प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 63 हजार 345 रुपये हो गई है, जो 2020-21 में 58 हजार 334 रूपये थी। इस प्रकार पिछले साल की तुलना में 8.59% की बढ़ोतरी हुई है। प्रचलित भाव पर प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 1 लाख 4 हजार 894 रुपये थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1 लाख 24 हजार 685 हो गई है। इस प्रकार 18.87% की वृद्धि हुई है।
लोक वित्त में भी निरंतर सुधार हो रहा है। वर्ष 2021-22 में राजस्व प्राप्तियाँ 164677 करोड़ 45 लाख रूपये अनुमानित है, जो गत वर्ष से 20.05 प्रतिशत ज्यादा है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के मुताबिक कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को नया जीवन मिला है। विकास के प्रमुख क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी, ग्रामीण अधो-संरचना, उद्योग में निरंतर प्रगति हो रही है।
सुनियोजित नीतियों और रणनीतियों से कृषि क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया है और निरंतर करता रहेगा। वर्ष 2021-22 के दौरान हर क्षेत्र में 10.86% की वृद्धि हुई है। दलहन, तिलहन के क्षेत्रफल एवं और उत्पादन में वृद्धि हुई है। नए 1130 कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया जा चुका है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना को मिलाकर कुल 10 हज़ार रुपये हर साल प्रत्येक किसान को मिल रहे हैं।
कृषि उपज को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक भंडारण की क्षमता बढ़ाते हुए 203 लाख 39 हजार मीट्रिक टन हो गई है। गेहूँ उपार्जन 128 लाख 16 हजार मीट्रिक टन और धान का उपार्जन 45 लाख 86 हजार मीट्रिक टन रहा है।
दुग्ध उत्पादन बढ़कर 17 हजार 999 मीट्रिक टन हो गया है। पंजीकृत दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या 10 हजार 205 हैं। इनमें से 7205 कार्यरत हैं। ये समितियाँ प्रतिदिन औसतन 5.60 किलोग्राम दूध का संकलन कर रही हैं। कोरोना संक्रमण काल में भी यह सिलसिला जारी रहा।
अधो-संरचना के निर्माण में तेजी आई है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। सड़क और सिंचाई क्षेत्र में प्रगति हुई है। वर्ष 2020-21 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उदयोगों में 5178 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ। धान, गेहूँ, कपास और मसाला फसलों के सिंचित क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में सभी फसलों के सिंचित क्षेत्र में 15.90% की वृद्धि हुई है।
विद्युत क्षेत्र में प्रदेश पूरी तरह आत्म-निर्भर हो गया है। कुल उपलब्ध विद्युत क्षमता 21 हजार 401 मेगा वाट है। विद्युत की पर्याप्त उपलब्धता है। विद्युत विक्रय में भी 5.37% की बढ़ोतरी हुई है। नवकरणीय ऊर्जा बढ़कर 5100 मेगा वाट हो गई है। विगत 5 वर्षों में लगभग 10 गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है।