सशस्त्र बलों में महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी देना सरकार का लक्ष्य: रक्षा मंत्री

 दुनिया के स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से सहयोग का आह्वान किया

– चार दिवसीय इंडो-पैसिफिक मिलिट्री हेल्थ एक्सचेंज सम्मेलन में इकट्ठा हुए 38 से अधिक देश

नई दिल्ली, 08 मार्च (हि.स.)। सैन्य चिकित्सा में सहयोग और संयुक्त कौशल बढ़ाने के लिए 38 से अधिक देशों के 600 से अधिक भारतीय और विदेशी प्रतिनिधि नई दिल्ली में इकट्ठा हुए हैं। 10 मार्च तक चलने वाले सम्मेलन में डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने अपने मुख्य भाषण में वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के मुद्दों पर बात की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सैन्य चिकित्सा के महत्व और दुनिया के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

दिल्ली में शुरू हुए चार दिवसीय इंडो-पैसिफिक मिलिट्री हेल्थ एक्सचेंज (आईपीएमएचई) सम्मेलन की सह मेजबानी सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) और यूएस-इंडो पैसिफिक कमांड कर रहा है। सम्मेलन में 38 से अधिक देशों के 600 से अधिक भारतीय और विदेशी प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सभी प्रतिनिधि और वक्ता चार दिनों में 110 विषयों पर बातचीत करके अनुभव साझा करेंगे। सम्मेलन में ऑपरेशनल कॉम्बैट मेडिकल केयर, ट्रॉपिकल मेडिसिन, फील्ड सर्जरी, फील्ड एनेस्थीसिया, एविएशन और मरीन मेडिसिन इमरजेंसी आदि मुद्दों पर चर्चा की जानी है।

अपने वर्चुअल भाषण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिकित्सा सेवा को किसी भी सेना के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। भारतीय सेना की चिकित्सा सेवा युद्ध के अलावा प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं व संकटों के समय में सहायता देने के लिए हमेशा सजग रहती है। रक्षा मंत्री ने कोरोना के दौरान उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि मौजूदा बुनियादी ढांचे पर दबाव और संसाधनों में असमानता जैसी दिक्कतों के बावजूद पिछले दो वर्षों में चिकित्सा बिरादरी और नागरिक समाज के स्वयंसेवी समूह सामने आए, जो महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़े हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में आपदा के समय सशस्त्र बलों ने जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने के लिए समुद्र और आसमान को पार किया। फ्रंटलाइन ड्यूटी करने वालों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार कर उसे कार्यान्वित किया गया। यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि हमने पूरे विश्व को अपना घर मानते हुए सामूहिक जीवन, साझा करने और स्वयं के सामने खुद से ज्यादा दूसरे लोगों को अच्छे से रखने के पारंपरिक गुणों को बरकरार रखा। राजनाथ सिंह ने डॉक्टर्स, नर्सेज, दंत चिकित्सकों और चिकित्सा प्रशासकों के बीच निरंतर पेशेवर सहयोग के माध्यम से दुनिया भर में सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में आईपीएमएचई के सार्थक प्रभाव की प्रशंसा की।

एएफएमएस के डीजी सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता ने अप्रत्याशित दुनिया में सैन्य स्वास्थ्य देखभाल की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य जानकारियों को साझा करना और राष्ट्रों के बीच एक गतिशील नेटवर्किंग बनाना है। यूएस नेवी की कमांड सर्जन रियर एडमिरल पामेला सी मिलर ने तेजी से बदलते परिदृश्यों में चिकित्सा चुनौतियों का सामना करने के लिए साझा कार्य प्रणाली और एक साथ काम करने के महत्व पर प्रकाश डाला। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने अपने मुख्य भाषण में वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के मुद्दों पर बात की। इस अवसर पर एएफएमएस के डीजी और यूएसआईएनडीओपीएसीओएम की कमांड सर्जन ने संयुक्त रूप से ई-स्मारिका का विमोचन भी किया।

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