नई दिल्ली, 30 जनवरी (हि.स.)। हिन्द महासागर में चीन की नौसैनिक शक्ति तेजी से बढ़ने की वजह से भारत की भी चिंता बढ़ी है। इसीलिए चीन को घेरने के लिए इस समय पहले से कहीं अधिक भारतीय युद्धपोत गश्त कर रहे हैं। इसके अलावा महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए लगभग 125 विदेशी नौसैनिक जहाज भी तैनात हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत के पानी में इतने सारे नौसैनिक जहाज एक साथ नहीं देखे गए हैं।
हिन्द महासागर में तैनात अधिकांश भारतीय पनडुब्बियां लगभग दो दशक पुरानी हैं, जबकि नौसेना ने अपने युद्धपोत के बेड़े को 200 तक बढ़ाने की योजना बनाई है। इसमें भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस ‘विक्रांत’ इसी साल स्वतंत्रता दिवस तक नौसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार है। आईएनएस ‘विक्रांत’ का तीसरा समुद्री परीक्षण पूरा हो चुका है और कई परीक्षण से गुजरना बाकी है। इस समय भारत के पास अब लगभग 130 युद्धपोत हैं, जो चीन के नौसैनिक बेड़े का लगभग एक तिहाई है। चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री बेड़ा है जिसमें लगभग 350 जहाज और पनडुब्बियां शामिल हैं। नौसेना ने अपना बेड़ा बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आवंटित अपने पूंजीगत परिव्यय का 90 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट दो दिन बाद आवंटित होने वाला है जब 01 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार संसद में अपनी वार्षिक खर्च योजना पेश करेगी। सरकार को 2020 की रिपोर्ट में सांसदों के पैनल ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में भारतीय नौसेना को अनुरोध के मुताबिक ही बजट मिला। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने दिसंबर में सालाना प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि चीनी युद्धपोत 2008 से हिन्द महासागर में मौजूद हैं और भारत लगातार गश्त करके उन पर नजर रख रहा है। भारतीय नौसेना भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए आश्वस्त है। भारत ने हिन्द महासागर में पश्चिम में अदन की खाड़ी से लेकर पूर्व में मलक्का जलडमरूमध्य तक फैले पांच चोक पॉइंट्स पर स्थायी रूप से युद्धपोत तैनात किए हैं।
भारतीय नौसेना ने पिछले साल मैत्रीपूर्ण नौसेनाओं के साथ 50 संयुक्त अभ्यास किए, जिसमें मलक्का जलडमरूमध्य के आसपास जापानी युद्धपोत भी शामिल थे। इसके बावजूद भारत हिन्द महासागर में चीन का विरोध करने से बचने में सतर्क रहा है क्योंकि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में हिमालयी सीमा पर लम्बे समय से गतिरोध में हैं। भारत ने दक्षिण चीन सागर में संयुक्त रूप से गश्त करने के लिए मित्र देशों की नौसेनाओं के अनुरोध को ठुकरा दिया है। इसके विपरीत भारत की नौसेना ने मित्र देशों के साथ मानवीय मिशनों में हिस्सा लिया है। पिछले दो वर्षों में नौसेना के जहाजों ने कोरोना महामारी के दौरान ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’ चलाकर मित्र देशों को भोजन, दवाएं और हथियार तक पहुंचाए हैं।