झुंझुनू, 30 जनवरी (हि.स.)। झुंझुनू जिले के पिलानी स्थित केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) ने एक नई तकनीक थर्मिओनिक एमिटर्स को विकसित किया है। यह तकनीक इसरो के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बड़ी सफलता है। इससे भारतीय अंतरिक्ष अभियानों को नए पंख लगेंगे। इस तकनीक को अभी तक विदेशों से इम्पोर्ट किया जाता था। अब सीरी ने भारत में ही यह तकनीक विकसित करके इसरो को सौंप भी दी है। इसरो के मापदंडों पर सीरी की बनाई हुई तकनीक खरी उतरी है। यह तकनीक अंतरिक्ष में लॉन्च विकल्स में काम आएगी। इससे अब भारत के अंतरिक्ष अभियानों में विदेशी निर्भरता समाप्त हो जाएगी।
सीरी पिलानी के निदेशक डॉ. पी.सी. पंचारिया ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विदेशों से इम्पोर्ट हो रही तकनीक को भारत में विकसित किया जा रहा है। इसी के तहत अंतरिक्ष में लॉन्चिंग तकनीक में आने आने वाले उपकरण और नई तकनीक की जिम्मेदारी 2018 में पिलानी स्थित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीरी) को दी गई थी। सीरी के वैज्ञानिकों ने थर्मिओनिक एमिटर्स बना दिया है। इस तकनीक को भारत दूसरे देशों से इम्पोर्ट करता था। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में ही विकसित कर इसरो को सौंप भी दिया है। पिलानी सीएसआईआर सीरी के सूक्ष्म तरंग युक्तियां क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने थर्मिओनिक एमिटर सिस्टम तापायनिक उत्सर्जन प्रणाली को विकसित किया है।
थर्मिओनिक एमिटर सिस्टम तापायनिक उत्सर्जन प्रणाली सीएसआईआर सीरी की कैथोड टीम की ओर से विकसित की गई है। यह पूरी तरह से अंतरिक्ष मानकों एवं कसौटियों पर सफलता हासिल कर चुकी है। थर्मिओनिक उत्सर्जन को सीएसआईआर सीरी पिलानी के निदेशक डॉ. पी.सी. पंचारिया इसरो को हस्तांतरित कर दिया है। यह थर्मिओनिक एमिटर इसरो के आगामी एसटीएस-1 मिशन में पीएसएलवी-सी 54 में उपयोग होगी। इसरो की विद्युत प्रणोदन परियोजना इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन प्रोजेक्ट को सीरी की ओर से बनाए गए थर्मिओनिक एमिटर सिस्टम को सौंप दिया गया है। सौंपने से पहले इस तकनीक का ट्रायल भी हो चुका है। ट्रायल में पूरी सफलता हासिल की है। इस तकनीक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुअनंतपुरम के तत्कालीन निदेशक एस. सोमनाथ तथा एलपीएससी इसरो बेंगलुरु के निदेशक डॉ.वी. नारायणन ने भी बड़ी सफलता बताया है।
सुरक्षा की दृष्टि और सामरिक क्षेत्र में उपयोग होने के कारण इन एमिटर्स का व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जाता। इसलिए विश्व में दो जगह ही सरकार की निगरानी में थर्मिओनिक एमिटर बनाए जाते हैं। इसके अलावा कोई अन्य उद्यम इसका व्यावसायिक उत्पादन नहीं करता है। सीएसआईआर सीरी के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद थर्मिओनिक एमिटर की तकनीक बना लिया है।
स्थिर प्लाज्मा थ्रस्टर में उपयोग के लिए थर्मिओनिक एमिटर के विकास के लिए 27 जुलाई 2018 को वीएसएससी इसरो और सीएसआईआर सीरी के बीच एक समझौता हुआ था। सीरी को यह तकनीक भारत में ही विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद सीएसआईआर सीरी ने 14 अगस्त 2019 को वीएसएससी को 20 प्रोटोटाइप और 50 उड़ान सिद्ध फ्लाइट प्रूवनद्ध थर्मिओनिक एमिटर विकसित कर प्रदान किए। वीएसएससी इसरो ने सीरी की ओर से विकसित किए गए एमिटर्स की ट्रायल ली। ट्रायल में पास होने के बाद अब 2022 में यह तकनीक इसरो को सौंपी गई है।