मास्को/कीव, 30 जनवरी (हि.स.)। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर है। यूक्रेन सीमा पर रूस ने एक लाख सैनिकों को तैनात किया है। रूस और यूक्रेन में तनाव के बीच उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिका की आलोचना की है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेन्स्की ने अमेरिका को जमकर कोसते हुए कहा कि अमेरिका अनावश्यक रूप से रूस के हमले की योजना का डर दिखाकर यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। इस बीच रूसी विदेश मंत्री ने भी कहा कि मास्को युद्ध शुरू नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका और नाटो को चेतावनी दी कि वह पश्चिमी देशों को उसके सुरक्षा हितों को रौंदने नहीं देगा।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कहा कि सैटलाइट तस्वीरें सैन्य तैनाती का पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और हालात अभी खराब नहीं हुए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हम स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अमेरिका की ओर से दी गई सहायता के लिए शुक्रगुजार हैं लेकिन मैं यूक्रेन का राष्ट्रपति हूं। मुझे किसी अन्य राष्ट्र्पति की तुलना में ज्यादा जानकारी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति का इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर था।
रूस ने निरंतर इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा है। वह इसके लिए तैयारी कर रहा है। रूस की मुख्य मांगों में नाटो में यूक्रेन को शामिल नहीं करना और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाना शामिल है, जिससे रूस को खतरा हो सकता है। अमेरिका और नाटो रूस की मुख्य मांगों पर किसी भी तरह की रियायत को दृढ़ता से खारिज कर चुके हैं। हालांकि तनाव घटाने के लिए अमेरिका ने उन मुद्दों को रेखांकित किया है जिन पर वार्ता की जा सकती है। अब, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन प्रस्तावों पर फैसला करेंगे और इससे यह तय होगा कि यूक्रेन पर हमला होगा या नहीं।
अमेरिकी सेनाओं के प्रमुख मार्क मिली ने कहा है कि रूस हमले के लिए आतुर है। वह यूक्रेन को युद्ध के लिए उकसा रहा है। मिली ने कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो नतीजे भयावह होंगे और बहुत सारे लोगों की जान जाएगी। रूस और अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो ने अपनी सैन्य तैनाती के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया है। इस बीच पोलैंड के प्रधानमंत्री मैटिएज मोराविस्की ने कहा है कि रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की सैन्य सहायता और रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने को लेकर यूरोपीय यूनियन (ईयू) में मतभेद हैं। सभी देश रूस के खिलाफ कार्रवाई में खुलकर सामने नहीं आना चाहते हैं। विदित हो कि जर्मनी और फ्रांस जैसे ईयू के प्रमुख देश बातचीत के जरिये तनाव खत्म करने पर जोर दे रहे हैं। ये देश नाटो के भी सदस्य हैं।