पटना, 30 जनवरी (हि.स.)। कोरोना की तीसरी लहर के बीच आ रहे केंद्रीय बजट को लेकर बिहार के लोगों में काफी उत्सुकता है। राज्य सरकार भी केंद्रीय बजट के गणित में राज्य की उम्मीदों के आधार पर ही 2022-23 में राज्य के बजट प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रही है। परंतु, केंद्रीय बजट में प्रावधान के बाद केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की कटौती से राज्य की तैयारियों पर लगातार पानी फिरता रहा है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों में भारत सरकार से केंद्रीय करों की हिस्सेदारी में बिहार को आम बजट के प्रावधानों से 39,618 करोड़ 64 लाख रुपये कम मिले हैं।
राज्य सरकार के बजट में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के अनुमानों के आधार पर अगर गणना की जाए तो कमी का आकार और भी बड़ा है। इस कारण प्रदेश की योजनाएं या तो दम तोड़ने लगती है या फिर राज्य सरकार को कर्ज का सहारा लेना पड़ता है। 2018-19 में भारत सरकार ने केंद्रीय बजट में केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के रूप में 76,172 करोड़ 37 लाख रुपये का प्रावधान किया था। बिहार सरकार को इस मद में कुल राशि केवल 71,223 करोड़ 86 लाख रुपये मिले। 2019-20 बिहार के लिए केंद्रीय करों में 78,202 करोड़ की राशि का आम बजट में प्रावधान किया गया। आखिरकार इस वित्तीय वर्ष की कुल हिस्सेदारी राज्य सरकार को महज 69,094 करोड़ रुपए मिले।
इसी तरह 2020-21 के आम बजट में 78,896 करोड़ 44 लाख रुपये का प्रावधान बिहार के लिए हुआ। बिहार को उस वित्तीय वर्ष के लिए 55,334 करोड़ 34 लाख की राशि मिले हैं।
आने वाले दिनों में 2020-21 के अंतिम आंकड़ों में मामूली फेरबदल संभव है। केंद्रीय बजट में प्रावधान के आधार पर राज्य का बजट तैयार करना और फिर केंद्रीय करों में कटौती बिहार के खजाने पर काफी भारी पड़ रहा है।
केंद्रीय करों का फैक्ट फाइल। इनके स्रोत बिहार सरकार का बजट, एजी की रिपोर्ट और भारत सरकार के दस्तावेज हैं।
वित्तीय वर्ष राज्य बजट में केंद्रीय बजट में राज्य को मिला
2018-19 76,172.37 76,172.37 71,223.86
2019-20 89,121.79 78,202.69 69,094.66
2020-21 91,180 .60 78,896.44 55,334.34
2021-22 में भी लगेगा झटका
बिहार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की उम्मीदों को चालू वित्तीय वर्ष में भी झटका लगना तय है। क्योंकि राज्य सरकार के बजट में केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि के रूप में 91 हजार 180 करोड़ 60 लाख रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया है। जबकि भारत सरकार के बजट में इसके लिए महज 66,942 करोड़ का प्रावधान किया गया। अभी तक 55 हजार करोड़ से कुछ अधिक राशि मिली है। जिसमें फरवरी महीने तक की अग्रिम हिस्सेदारी भी शामिल है।
साल दर साल बिहार बजट में घट रही हिस्सेदारी
वित्तीय वर्ष के अंत तक केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की कटौती के कारण राज्य के बजट में केंद्रीय करों की हिस्सेदारी लगातार घट रही है। 2019-20 में बिहार के बजट में केंद्रीय करों की हिस्सेदारी 44.21 फीसदी थी। 2020-21 में यह घटकर 43.02 फीसदी रह गई। वर्तमान वितीय वर्ष 2021-22 में यह केवल 41.73 फीसदी है।
उपाय क्या है
भारत सरकार आम बजट में तय केंद्रीय करों की हिस्सेदारी में साल के अंत तक कटौती नहीं करने का रास्ता निकाले या कोई विकल्प तैयार करे। इसके बिना बिहार जैसे राज्य के बजट को यथार्थवादी रखना मुश्किल हो रहा है।