पटना, 28 जनवरी (हि.स.)। कोरोना की तीसरी लहर के बीच तीन दिन बाद आने जा रहे देश के आम बजट के पैगाम पर सबकी नजर टिकी है। हर बार की तरह बिहारी सपनों के आकाश में उम्मीदों के बादल छाए हैं। ये बरसेंगे या बिजलियां गिराएंगे यह तो संसद के पटल पर निर्मला सीतारमण के पोथे में छपे अक्षर ही बता पाएंगे। परंतु घटते रोजगार और सिमटते कारोबार की बेला में केंद्र से कुछ नए नुस्खों की आशा के साथ प्रदेश के लिए अलग से भी कुछ चाहत है। इस चाहत की बुनियाद आजाद भारत के शुरूआती बजटों ने ही बिहारी मन-मस्तिष्क में डाल रखी है। कोसी, सोन और गंडक नदी घाटी परियोजनाओं की घोषणा से देश के आम बजटों ने बिहार में रोजगार, विकास और समृद्धि के सपनों की आधारशिला रखी। बाद के दशको में भी आम बजटों ने कभी नई संस्थाओं और कभी नई विकास परियोजनाओं की सौगात देकर विकास के ढांचों को तामीर करने में मदद की।
कोसी-घाटी परियोजना से पड़ी पहली नींव
वैसे तो 26 नवंबर 1947 को देश का पहला बजट भाषण करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुगम शेट्टी ने बिहार के विकास के लिए दामोदर घाटी परियोजना की घोषणा की। परंतु वह इलाका अब झारखंड में है। देश के आम बजट में वर्तनमान बिहार के विकास की पहली नींव दूसरे आम बजट(1948-49) में रखी गई। 28 फरवरी 1948 को इसे पढ़ते हुए आर के षणमुगम शेट्टी ने कोसी, सोन और गंडक नदी घाटी परियोजनाओं की घोषणा की। बाद के लगभग दो दशक तक इन परियोजनाओं के लिए केंद्रीय बजट में धन का आवंटन किया जाता रहा।
इन परियोजनाओं से बिहार का कितना विकास हुआ, यह भले ही बहस का विषय हो सकता है। परंतु, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नदी-घाटी परियोजनाओं के जरिए देखे गए सपनों में बिहार को मिली प्राथमिकता ने उस समय जरूर आशा का संचार किया था। इन परियोजनाओं में केवल बांध बांधकर सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण ही नहीं था, बल्कि उन इलाकों की पूरी आर्थिकी को तेज करने के सरंजाम रचे गए थे। हालांकि, दशकों बीत जाने के बाद भी ये परियोजनाएं आर्थिक दृष्टि से भले ही दानवाकार होती रहीं, परंतु इनके जरिए बुने गए सपने आज भी अधूरे हैं।
पटना आकाशवाणी का एलान भी ऐतिहासिक
1955-56 के आम बजट में आकाशवाणी पटना की स्थापना की एलान के साथ ही राशि का प्रावधान किया गया। अगले साल 27 जुलाई 1957 को यहां से प्रसारण शुरू हो गया।
1954-55
भागलपुर में नया एयरपोर्ट बनाने की घोषणा की गई।
1955-56
लघु उद्योगों के विकास के लिए बिहार में केंद्रीय संस्थान की स्थापना की घोषणा हुई।
1956-57
देश के 11 राज्यों में बिहार भी था, जहां फ्लड कंट्रोल बोर्ड स्थापित करने की घोषणा हुई।