रायपुर, 28 जनवरी (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के मुख्य सचिव एवं भाजपा शासनकाल में सबसे ताकतवर अधिकारी रहे अमन सिंह के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और सीबीआई को शीघ्र निर्णय लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शिकायतों पर 16 सप्ताह के अंदर कानून सम्मत फैसला लें। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ में हुई।
इस मामले में आर राजधानी रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने 4 दिसंबर 2019 और 17 जुलाई 2021 को दायर याचिका में कोर्ट से आग्रह किया था कि वह सीबीआई तथा केंद्र सरकार को अमन सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी लेनदेन के आरोपों की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे। यह मांग भी की गई थी कि अमन सिंह के खिलाफ कोर्ट की निगरानी में एस आई टी गठित कर जांच की जाए।
राकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 2003 से लेकर 2018 तक भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर कृत्य की जांच के लिए कई बार जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन आज तक कार्रवाई करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता राकेश चौबे ने अमन सिंह पर सेवा नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाते हुए कहा है कि मुताबिक भारतीय राजस्व सेवा में शामिल होने के समय अमर सिंह की वार्षिक संपत्ति रिटर्न से स्पष्ट है कि वे बहुत ही सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से थे। लेकिन वह आय के अपने कानूनी स्रोतों के विपरीत 2500 करोड़ से अधिक की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने में सफल रहे हैं।अपनी आय से अधिक संपत्ति के उजागर होने के भय से अमन सिंह ने छत्तीसगढ़ सरकार में कार्यरत रहते हुए एक भी वार्षिक संपत्ति रिटर्न फाइल नहीं किया। उन्होंने इन विवरणों को छिपाकर भारत सरकार के सेवा नियमों और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम का गंभीर उल्लंघन किया है।