(संशोधित) जम्मू-कश्मीर में इस बार गणतंत्र दिवस का नजारा रहा अलग, लाल चौक पर पहली बार लहराया गया तिरंगा

जम्मू, 27 जनवरी (हि.स.)। अब जम्मू-कश्मीर पहले जैसा नहीं रहा। सूबे के बाशिंदों में शांति, विकास व नई सोच के साथ आगे बढ़ने के अलावा देश के प्रति प्रेम भी बढ़ने लगा है, इसलिए गणतंत्र दिवस का नजारा इस बार अलग देखने को मिला। अबकी ऐतिहासिक लाल चौक पर कई वर्षों बाद पूर्ण रूप से तिरंगा लहराया गया, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका रही।

श्रीनगर शहर का दिल कहे जाने वाले लाल चौक के मध्य में स्थित घंटाघर चौक पर बुधवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर शान से तिरंगा लहराया गया। 73वें गणतंत्र दिवस की खुशियों को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में यादगार बनाने के लिए श्रीनगर के लाल चौक में उचित प्रबंध किए गए थे। घंटाघर के ऊपर भारतीय ध्वज फहराने के लिए हाइड्राेलिक क्रेन का सहारा लिया गया। इसमें सवार होकर जम्मू-कश्मीर यूथ सोसायटी से संबंधित सामाजिक कार्यकर्ता साहिल बशीर भट्ट और साजिद युसूफ ने अपने साथियों के संग बड़ी शान के साथ तिरंगा फहराया। इस अवसर पर स्कूली छात्रों ने देशभक्ति धुनों पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए। लाल चौक के ऐतिहासिक घंटाघर चौक पर 30 वर्षों के बाद गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

इस संबंध में जब हिन्दुस्थान समाचार ने सामाजिक कार्यकर्ता साहिल बशीर भट्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि यह ऐतिहासिक दिन था और उन्हें इस दिन पहली बार पूर्ण रूप से यह अवसर मिला कि वह और उनके साथी लाल चौक पर तिरंगा फहरा सके। उनका कहना था कि यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक कार्यक्रम था। हालांकि इसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया। यह सब इतना आसान नहीं था परन्तु उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, सरकारी विभागों व एजेंसियों का बड़ा योगदान रहा, जिसके कारण ही प्रसिद्ध लाल चौक पर इतने वर्षों बाद तिरंगा फहराया गया। इस अवसर पर राष्ट्रगान, देश भक्ति का जोश, उत्साह व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भाी आयोजन किया गया।

भट्ट ने बताया कि इसमें कई एनजीओ, स्पोर्ट्स विभाग, एनसीसी कैटैडस, राजनीतिक कार्यकर्ताओं का योगदान व भागीदारी हुई। इससे पहले भी कई बार लाल चौक पर तिरंगा फहराने का कई नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रयास किया, जिनमें हमारे प्रयास भी रहे परन्तु पूर्ण सफलता नहीं मिली, क्योंकि तत्कालीन सरकारों व प्रशासन ने साथ देने की बजाय उन्हें नजरबंद कर दिया।

साहिल ने कहा कि बड़ी कोशिश के बाद इस बार यह इतिहास रचने का मौका मिला। हम उन सभी का तहेदिल से शुक्रिया करते हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हमारा सहयोग किया। प्रशासन का इसमें बड़ा सहयोग रहा। फायर ब्रिगेड के सहयोग के बिना तो यह संभव ही नहीं था। कश्मीर के युवाओं से हमारी अपील है कि वे मुख्यधारा में आयें। पाकिस्तान व उसके द्वारा प्रायोजित अलगाववाद व आतंकवाद के बहकावे में न आयें। इसी से कश्मीर व पूरे देश का भला होगा।

इसके अलावा गणतंत्र दिवस के मौके पर हर तरफ तिरंगा दिखा। 1145 शैक्षणिक संस्थानों और 2319 पंचायत हलकों में भी बड़ी धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया। कश्मीर संभाग में 72 डिग्री कॉलेजों, 358 हायर सेकेंडरी स्कूलाें, 715 हाई स्कूलों तथा 137 सामुदायिक ब्लॉक और 2182 पंचायत हलकों में गणतंत्र दिवस मनाया गया।

अब कश्मीर पहले जैसा नहीं रह गया है। हर दिन कश्मीर में बदलाव देखने को मिल रहा है। न तो पत्थरबाजी और न ही राष्ट्र पर्व को लेकर जबरन कश्मीर बंद। गणतंत्र दिवस हो या फिर देश की आजादी का पर्व, देश के दूसरे राज्यों की तरह कश्मीर में भी हर पर्व उत्साह व जोश के मनाया जा रहा है।

इस बार के गणतंत्र दिवस की बात करें तो कश्मीर संभाग का शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जहां राष्ट्रीय ध्वज पूरे सम्मान के साथ फहराया न गया हो। हर सरकारी इमारत, स्कूल, पंचायत हलके और सामुदायिक भवन परिसर में राष्ट्रीय सम्मान के साथ तिरंगा फहराया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में आसपास रहने वाले लोगों, खासकर बच्चों ने भी शिरकत की। इन्हें न तो आतंकवादी धमकियों तथा हमलों का डर था और न ही अलगाववादी नेताओं के फरमान का।

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