भीलवाड़ा, 25 जनवरी (हिस)। देश के इतिहास में पहली बार दिल्ली का राजपथ मेवाड़ के क्रान्तिकारियों के फड़ चित्रों से इस बार गणतंत्र दिवस पर सजेगा। इन चित्रों में मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी जीवंत होगी। भीलवाड़ा के फड़ चित्रकार कल्याण जोशी ने इस कार्य को अंजाम दिया है।
दिल्ली के राजपथ पर पहली बार राजस्थान के रियासत कालीन मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी जीवंत होने जा रही है। इस कहानी को 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला में से सजाया गया है। गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर इसकी झलक दिखेगी।
120 फीट लंबी यह चित्रकारी भीलवाड़ा के ख्यातनाम फड़ चित्रकार कल्याण जोशी की अगुवाई में तैयार हुई है। इसे 10 चित्रकारों ने 10 दिन की कड़ी मेहनत से बनाया है। फड चित्रकार कल्याण जोशी के पिता श्रीलाल जोशी भी इस कला में सिद्धस्थ थे। उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। भीलवाड़ा शहर और शाहपुरा की लगभग 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला के माध्यम से इस गणतंत्र दिवस पर मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी पूरा देश गर्व से देखेगा। पहली बार राजपथ के मुख्य मंच पर इस चित्रकला का प्रदर्शन होगा 120 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी इस फड़ चित्रकला को 15 दिन तक प्रदर्शित किया जाएगा।
मेवाड़ के क्रांतिकारियों के फड़ चित्र बनाने वाले चित्रकार भीलवाड़ा के कल्याण जोशी ने बताया कि राजपथ के मुख्य मंच के आमने सामने की दीवार पर इन चित्रों को लगाया गया है। इन चित्रों में देश की आजादी के आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
फड चित्रकला में पदमश्री पुरस्कार से नवाजे गए श्रीलाल जोशी के पुत्र चित्रकार कल्याण जोशी भी राष्ट्रीय स्तर पर फड़ चित्रकला में कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। कल्याण जोशी ने बताया कि राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर लगाई जाने वाली फड़ को भीलवाड़ा के 10 कलाकारों ने चंडीगढ़ में रहकर तैयार किया है। इस बनाने में 10 दिन की कड़ी मेहनत लगी है। इसमें भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया किसान आंदोलन के महानायक विजय सिंह पथिक, आजादी के आंदोलन में शाहपुरा के अमर शहीद केसरी सिंह बारहठ, उनके पुत्र प्रताप सिंह बारहठ और छोटे भाई जोरावर सिंह बारहठ की शहादत की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब दिल्ली के राजपथ पर मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानियों को पूरा देश अपना सीना चौड़ा कर निहारेगा।
उल्लेखनीय है कि लोक देवता देवनारायण के भक्त छोटू भाट ने सबसे पहले फड़ पेंटिंग बनाई थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान देवनारायण ने जोशी जाति के लोगों को यह फड़ चित्र बनाने के लिए अधिकृत किया था। तब से भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा और भीलवाड़ा शहर में यह फड़ चित्र बनाए जा रहे हैं।
भीलवाड़ा में फड़ चित्र बनाने वाले जोशी परिवार सोलहवीं शताब्दी तक शाहपुरा ही रहता था। कालांतर में यह लोग पलायन कर 19वीं शताब्दी में भीलवाड़ा में आ बसे। अब भी इस परिवार के लोग शाहपुरा में रहकर फड़ चित्रकला करते हैं। जिन्हें भी राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है। शाहपुरा में अभी शांतिलाल जोशी एवं राजेंद्र जोशी कार्य कर रहे है।