नई दिल्ली, 25 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने विदेशों से चंदा लेने के लिए एफसीआरए के लाइसेंस रद्द करने के मामले में छह हजार से ज्यादा एनजीओ को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये एनजीओ अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए केंद्र को प्रतिवेदन दें और केंद्र इनके प्रतिवेदन पर कानून के मुताबिक फैसला करे।
कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को नोट किया कि 11 हजार एनजीओ के आवेदनों पर विचार करने के बाद उनके लाइसेंस नवीनीकृत किए गए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील संजय हेगड़े ने कहा कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी के संबंध में हमें कुछ नहीं कहना है, क्योंकि उसका लाइसेंस नवीनीकृत हो चुका है।
संजय हेगड़े ने कहा कि कोरोना को आपदा घोषित होने तक अच्छा काम करने वाले एनजीओ के लाइसेंस नवीनीकृत करने का आदेश जारी किया जाए। इससे कोई आसमान टूट नहीं पड़ेगा। हेगड़े की दलील का विरोध करते हुए केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता एनजीओ अमेरिका के ह्यूस्टन का है। केंद्र सरकार ने नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वालों में 11 हजार एनजीओ का नवीनीकरण किया है। इस याचिका का उद्देश्य समझ में नहीं आ रहा है।
अमेरिका के एनजीओ ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने दायर याचिका में मदर टेरेसा द्वारा शुरू किए गए मिशनरीज ऑफ चैरिटीज का भी जिक्र किया है। याचिका में कहा गया है कि इन एनजीओ के एफसीआरए के लाइसेंस को निरस्त करना एनजीओ और उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन भारतीय नागरिकों के अधिकारों का हनन है, जिनकी ये एनजीओ मदद करते हैं। देश कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। ऐसे में करीब छह हजार एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द करने से राहत प्रयासों को धक्का लगेगा।