युद्धपोत ‘खुकरी’ का सफर पूरा, अब संग्रहालय में बदलेगा

नई दिल्ली, 25 जनवरी (हि.स.)। बत्तीस साल की शानदार सेवा के बाद नौसेना से सेवामुक्त किया गया स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट में से पहला जहाज आईएनएस खुकरी गणतंत्र दिवस पर दीव प्रशासन को सौंप दिया जाएगा। सतह से सतह पर मार करने वाला मिसाइल फिटेड यह स्वदेशी युद्धपोत नौसेना के पश्चिमी और पूर्वी बेड़े का हिस्सा रहा है। विशाखापत्तनम से अपनी अंतिम यात्रा पूरी करके जहाज 14 जनवरी को दीव पहुंच चुका है। खुकरी मेमोरियल में रखे जाने के बाद यह जहाज एक बार फिर ‘जिन्दा’ रहकर अपने आदर्श वाक्य से लोगों को प्रेरित करता रहेगा।

जहाज की कमान 28 कमांडिंग ऑफिसरों ने संभाली

मिसाइल कार्वेट आईएनएस खुकरी को तत्कालीन रक्षामंत्री श्रीकृष्ण चंद्र पंत ने 23 अगस्त, 1989 को नौसेना में शामिल किया था। इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने किया था। दिवंगत कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला की पत्नी सुधा मुल्ला और संजीव भसीन को जहाज का पहला कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था। बाद में संजीव भसीन वाइस एडमिरल के पद से सेवानिवृत्त हुए। 32 साल तक राष्ट्र की गौरवशाली सेवा के दौरान जहाज की कमान 28 कमांडिंग ऑफिसरों ने संभाली। जहाज ने सेवा के दौरान 6,44,897 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय की, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 30 गुना के बराबर है।

नौसेना से 32 साल की सेवा के बाद हुआ रिटायर

जहाज को राष्ट्र की 32 साल तक गौरवशाली सेवा करने के बाद 23 दिसंबर, 2021 को एक समारोह में रिटायर कर दिया गया। विशाखापत्तनम में आयोजित समारोह में नौसेना की परंपरा को निभाते हुए सूर्यास्त होते ही राष्ट्रीय ध्वज और नौसेना पताका उतारकर जहाज को सेवा से विदाई दी गई। पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर जहाज के कुछ सेवारत और सेवानिवृत्त पूर्व कमांडिंग अधिकारी भी उपस्थिति रहे। यह जहाज भारतीय सेना के गोरखा ब्रिगेड से संबद्ध था। गोरखा ब्रिगेड के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल पीएन अनंतनारायण भी विदाई समारोह में शामिल हुए।

…ताकि जिन्दा रहे आईएनएस खुकरी

भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस खुकरी का पूरा नाम इंडियन नेवल शिप खुकरी था। इस पोत को 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 9 दिसम्बर, 1971 को पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस हेंगोर ने तारपीडो से नष्ट कर दिया था। यह जहाज दीव के समुद्र तट से 40 नॉटिकल मील की दूरी पर 18 अधिकारियों और 176 नाविकों सहित डूब गया था। आईएनएस खुकरी की जल समाधि के बाद भारतीय नौसेना ने 48 घंटों के भीतर ही कराची के बंदरगाह पर कब्जा करके पाकिस्तान से बदला ले लिया था। इसी आईएनएस खुकरी के नाम को जिन्दा रखने के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने मिसाइल कार्वेट आईएनएस खुकरी का निर्माण किया था।

बनाया गया खुकरी मेमोरियल

जहाज के तत्कालीन कैप्टन कमांडर ऑफीसर महेन्द्र नाथ मुल्ला ने खुद को बचाने के बजाय अपने पूरे चालक दल का साथ निभाया। उन्होंने अपनी लाइफ जैकेट जूनियर अधिकारी को देकर सभी साथियों के साथ जहाज से उतर जाने का आदेश दे दिया। बाद में कैप्टन मुल्ला को मरणोपरांत महाबीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जहाज के दोनों कमांडरों मनु शर्मा और लेफ्टिनेंट कुंदनमल को देश का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार मिला था। इन सभी बहादुर योद्धाओं की शहादत की स्मृति में दीव में ‘खुकरी मेमोरियल’ स्थापित किया गया है जहां कांच में आईएनएस खुकरी के एक छोटे से मॉडल को रखा गया है। इस स्मारक का उद्घाटन भारतीय नौसेना के तत्कालीन कमांडिग-इन-चीफ फ्लैग ऑफिसर वाइस एडमिरल माधवेन्द्र सिंह ने 15 दिसंबर, 1999 को किया था।

आईएनएस खुकरी की अंतिम यात्रा

दीव प्रशासन ने 2019 में रक्षा मंत्रालय से जहाज को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपहार में देने के लिए संपर्क किया था। आखिरकार जहाज को आधिकारिक तौर पर दीव प्रशासन को सौंपे जाने का फैसला लिया गया। जहाज ने विशाखापत्तनम से भारतीय नौसेना के जहाजों के साथ अपनी अंतिम यात्रा शुरू की और 14 जनवरी को दीव पहुंच गया। देश के 73वें गणतंत्र दिवस पर स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट खुकरी मेमोरियल में आयोजित होने वाले एक औपचारिक कार्यक्रम में दीव प्रशासन को सौंप दिया जाएगा। जहाज को पूर्ण रूप से संग्रहालय के रूप में विकसित करने की योजना है। इस भूमिका में भी वह देश के लोगों को अपने आदर्श वाक्य ‘बल, साहस, जोश और दम, खुकरी नहीं किसी से कम’ से प्रेरित करेगा।

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