पवित्र स्थल पर मांस और शराब बेचे जाने का मामला उठाते हुए स्पष्टीकरण मांगा
नई दिल्ली, 24 जनवरी (हि.स.)। झारखंड सरकार के गिरिडीह में जैन धर्म के मशहूर प्राचीन धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल में बदले जाने पर जैन समाज में काफी नाराजगी दिख रही है। इस पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है। आयोग का कहना है कि जैन समाज ने पवित्र स्थल पर मांस और शराब बेचे जाने का कड़ा विरोध किया है जिस पर राज्य सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पारसनाथ पर स्थित यह धार्मिक स्थल जैन समाज के 24 तीर्थंकरों में से 20वें तीर्थंकर का निर्वाण स्थान हैं। यह काफी पूजनीय है इसीलिए यहां पर जैन समाज के तीर्थ यात्री 27 किलोमीटर तक नंगे पांव चलते हुए पहुंचते हैं। झारखंड के गिरिडीह में जैन समाज के शिखर जी पहाड़ी के पवित्र स्थान को पर्यटक स्थल बनाने के बाद से वहां पर मांस और शराब की दुकानें भी खोली गई हैं। इसके खिलाफ जैन अल्पसंख्यकों ने विरोध दर्ज कराया है। जैन समाज में शराब और मांस मछली की पूरी तरह से पाबंदी है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का मानना है कि पवित्र शिखर जी पहाड़ी जैन समाज के यात्रियों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र है। पुराने जमाने से ही यहां पर जैन समाज के लोग आकर पूजा-अर्चना करते हैं। इस पहाड़ी को बहुत ही पवित्र माना जाता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने इस मामले को उठाते हुए झारखंड सरकार से 31 जनवरी तक जवाब तलब किया है। आयोग ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट आयोग को सौंपी जाए।
दिगंबर जैन समाज की तरफ से झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है। इसमें मांग की गई है कि इस पवित्र स्थान को पर्यटन स्थल में परिवर्तित नहीं किया जाए। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लिखे पत्र में दिगंबर जैन समाज के लोगों ने आरोप लगाया है कि पिछले कई सालों से यहां पर चहलकदमी और पिकनिक मनाने के मकसद से बड़ी तादाद में पर्यटक आकर हंगामा आदि करते हैं। यात्रा क्षेत्र में पहुंचने के बाद शराब, मांस मछली का सेवन और डांस वगैरह से इस इलाके की पवित्रता को भंग करते हैं। इसलिए वह यहां पर पर्यटन स्थल बनाए जाने के खिलाफ है।