ओस्लो, 24 जनवरी (हि.स.)। नार्वे में सोमवार से शुरू हुई तीन दिवसीय शिखर बैठक में तालिबान ने पश्चिमी दुनिया से अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को मान्यता देने की मांग रखी है। इस पर अभी कोई सीधा जवाब तो नहीं मिला है, किन्तु तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधरने की उम्मीद जरूर नजर आ रही है। बैठक के दौरान अफगान प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा की मांग करते नजर आए।
नार्वे की राजधानी ओस्लो के ऊपरी इलाके में बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच एक होटल में हो रही इस बैठक में तालिबान का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नार्वे सहित पश्चिमी देशों के अधिकारियों व विदेशों में रह रहे अफगानी प्रतिनिधिमंडलों से बात कर रहा है। पहले दिन की शिखर वार्ता के समापन के बाद तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य शफीउल्लाह आजम ने कहा कि पश्चिमी देशों के अधिकारियों के साथ हो रही यह बैठक मौजूदा अफगानिस्तान सरकार को मान्यता दिलाने की ओर बढ़ता हुआ एक कदम है।
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इस प्रकार का संवाद यूरोपीय देशों, अमेरिका व अन्य देशों के बीच अफगानिस्तान सरकार की गलत छवि सुधारने में भी सहयोगी साबित होगा। हालांकि नार्वे की विदेश मंत्री एनीकेन हुइटफेल्ट साफ कह चुकी हैं कि इस वार्ता का अर्थ तालिबान को वैध बताना या अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को मान्यता देना नहीं है। इस वार्ता के दौरान ओस्लो में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी रहा। हालांकि तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने इस बीच कुछ महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से भी बातचीत की है।