अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग की खुदाई के लिए बीआरओ ने किया अंतिम विस्फोट

नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। सीमा सड़क के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने शनिवार को नई दिल्ली से एक वर्चुअली समारोह में 980 मीटर लंबी सेला सुरंग के लिए अंतिम विस्फोट किया। यह सेला सुरंग परियोजना के तहत खुदाई कार्य खत्म होने का प्रतीक है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने यह उपलब्धि खराब मौसम और भारी बर्फबारी के बीच हासिल की है। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित सेला सुरंग तवांग सेक्टर को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करके ‘जीवन रेखा’ की तरह होगी।

प्रधानमंत्री ने रखी थी सुरंग की नींव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में सेला सुरंग परियोजना का शिलान्यास किया था। 15 जनवरी, 2021 को पहला विस्फोट किए जाने के बाद सुरंग 1 पर खुदाई का काम शुरू हुआ था। इसके बाद 14 अक्टूबर, 2021 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडिया गेट से एक ई-समारोह के जरिए सुरंग 2 पर विस्फोट किया था। यह 1,555 मीटर लंबी सुरंग 2 के खुदाई कार्य के समापन का प्रतीक था। परियोजना की 980 मीटर लंबी दूसरी सुरंग पर पहले ही 700 मीटर से अधिक लंबाई तक काम हो चुका है। इसके पूरा होने पर 1.5 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग 13 हजार 800 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो-लेन की सड़क सुरंगों में से एक होगी। नवीनतम न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग विधि का उपयोग करके बनाई गई यह अनूठी सुरंग बर्फ की निकासी की चुनौतियों के बिना सभी मौसमों में यात्रा के लिए अनुकूल होगी।

अरुणाचल के लिए जीवन-रेखा साबित होगी सेला सुरंग

सेला सुरंग परियोजना में दो सुरंगें शामिल हैं, जिसमें पहली 980 मीटर लंबी, सिंगल ट्यूब टनल और दूसरी 1555 मीटर लंबी, ट्विन ट्यूब टनल है। सुरंग 2 में यातायात के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है। यह 13 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाई गई सबसे लंबी सुरंगों में से एक है। इस परियोजना में सुरंग 1 के लिए सात किलोमीटर की पहुंच (अप्रोच) सड़क का निर्माण भी शामिल है, जो बीसीटी रोड से निकलती है। इसके अलावा सुरंग 1 और सुरंग 2 को जोड़ने वाली 1.3 किलोमीटर का एक लिंक रोड है। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में बनाई गई सेला सुरंग राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह अत्याधुनिक सुरंग तवांग ही नहीं बल्कि पूरे अरुणाचल राज्य के लिए जीवन-रेखा साबित होगी।

हर मौसम में मिलेगी देश के शेष हिस्सों से कनेक्टिविटी

अरुणाचल प्रदेश में 317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बीसीटी) सड़क पर सेला दर्रा 13 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर है। यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को हर मौसम में देश के शेष हिस्सों से कनेक्टिविटी मिलेगी। यह सुरंग तवांग के लोगों के लिए एक वरदान साबित होगी, क्योंकि यह यात्रा में लगने वाले समय को कम करेगी और सेला दर्रे में तेजी से आवाजाही सुनिश्चित करेगी।

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