नई दिल्ली, 21 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद ने शुक्रवार को महान क्रान्तिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी हेमू कालाणी को उनके 79वें शहादत दिवस पर समारोहपूर्वक यादकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर परिषद के निदेशक प्रो. अकील अहमद ने शहीद हेमू कालाणी के बारे में संक्षिप्त व्याख्यान प्रस्ततु किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वालों में कम उम्र के क्रांतिकारी अमर शहीद हेमू कालाणी को देश कभी नही भूल पाएगा। स्वतन्त्रता सेनानी हेमू कालाणी ने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर हम हिन्दुस्तान को विश्व गुरु बनते हुए देखना चाहते हैं तो हम सबको ईश्वर की ही तरह मां, मातृभूमि एवं मातृभाषा की आराधना करनी होगी।
सिंधी वक्ताओं ने कहा कि 1942 में 19 वर्षीय किशोर क्रांतिकारी ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो” नारे के साथ अपनी टोली संग सिंध प्रदेश में तहलका मचा दिया था और उसके उत्साह को देखकर प्रत्येक सिंधवासी भी जोश में आ गया था। हेमू कालाणी समस्त विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगों से अनुरोध किया करते थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया। अत्याचारी फिरंगी सरकार के खिलाफ छापामार गतिविधियों एवं उनके वाहनों को जलाने में हेमू सदा अपने साथियों का नेतृत्व करते थे। 21 जनवरी 1943 को उन्हें ब्रितानी सरकार ने फांसी की सजा दे दी। फांसी से पहले जब उनसे आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को सहर्ष स्वीकार किया।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद के निदेशक ने शहीद हेमू कालाणी को याद करते हुए राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया । इस अवसर पर परिषद के निदेशक प्रो. अकील अहमद, अतिथिगण हीरो ठकुर, महेश छाबरिया, नीतू मटाई और अनीता शिवनानी एवं परिषद के समस्त अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।